माओवादियों के खिलाफ ‘राष्ट्रीय बल’ का इस्तेमाल करेगी सरकार
एजेंसियां, नयी दिल्लीसरकार माओवादियों से निबटने की एक नयी नीति के तहत उनके खिलाफ अपने ‘राष्ट्रीय बलों’ के किसी भी तत्व का इस्तेमाल करेगी और जब तक वे हिंसा नहीं छोड़ देते और लोकतंत्र में भरोसा नहीं जताते, उनके साथ बातचीत नहीं की जायेगी. वामपंथी उग्रवाद से निबटने के लिए राजग सरकार द्वारा बनायी गयी […]
एजेंसियां, नयी दिल्लीसरकार माओवादियों से निबटने की एक नयी नीति के तहत उनके खिलाफ अपने ‘राष्ट्रीय बलों’ के किसी भी तत्व का इस्तेमाल करेगी और जब तक वे हिंसा नहीं छोड़ देते और लोकतंत्र में भरोसा नहीं जताते, उनके साथ बातचीत नहीं की जायेगी. वामपंथी उग्रवाद से निबटने के लिए राजग सरकार द्वारा बनायी गयी नीति में इस रणनीति पर विचार किया गया. इस नीति को सभी नौ माओवाद प्रभावित राज्यों को भेजा गया. गृह मंत्रालय द्वारा तैयार नीति के अनुसार, ‘राष्ट्र माओवादी हिंसा से दृढसंकल्प के साथ निबटने के लिए प्रतिबद्ध है और परिस्थिति की आवश्यकता के अनुरूप (माओवादी) संगठनों के खिलाफ अपने राष्ट्रीय बलों के किसी भी तत्व का इस्तेमाल करने का अधिकार रखता है.’ हालांकि, नक्सलियों के खिलाफ सशस्त्र बलों के इस्तेमाल का कोई विकल्प है या नहीं, नीति में इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है. मुहर लगने के बाद प्रभावी होगा कानूननयी नीति के अनुसार पंजाब, आंध्र प्रदेश और त्रिपुरा जैसे राज्यों में पहले चलाये गये उग्रवाद निरोधक अभियानों का अनुभव बताता है कि अभियानों में केंद्रीय बलों के समर्थन के साथ राज्य पुलिस को अगुवाई करनी चाहिए. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के सहयोग से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्य उग्रवाद निरोधक अभियान की कमान संभालेंगे. केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की उग्रवाद निरोधक ग्रिड को एक साथ करने की, राज्य पुलिस बलों के साथ समन्वय करते हुए राज्य की सीमाओं पर अभियान संचालित करने की जिम्मेदारी है. यह नीति केंद्रीय मंत्रिमंडल की औपचारिक मुहर लगने के बाद प्रभाव में आयेगी.