जीवन का न कोई जन्म है, न मृत्यु : शिवेंदु लाहिड़ी

क्रिया योग दीक्षा एवं प्रवचन का आयोजनसंवाददातारांची : अशोकनगर स्थित देवालय में रविवार को सत्यलोक क्रिया योग समिति के तत्वावधान में क्रिया योग दीक्षा एवं प्रवचन का आयोजन किया गया. इस अवसर पर ब्रह्मलीन श्यामा चरण लाहिड़ी के परपौत्र शिवेन्दु लाहिड़ी ने प्रवचन में स्वाध्याय (सांख्य का सार) की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आमतौर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2014 11:02 PM

क्रिया योग दीक्षा एवं प्रवचन का आयोजनसंवाददातारांची : अशोकनगर स्थित देवालय में रविवार को सत्यलोक क्रिया योग समिति के तत्वावधान में क्रिया योग दीक्षा एवं प्रवचन का आयोजन किया गया. इस अवसर पर ब्रह्मलीन श्यामा चरण लाहिड़ी के परपौत्र शिवेन्दु लाहिड़ी ने प्रवचन में स्वाध्याय (सांख्य का सार) की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोग जीवन के बाद मृत्यु एवं पुनर्जीवन की अवधारणा के बारे में सोचते हैं; लेकिन जीवन का न कोई जन्म है, न कोई मृत्यु. उन्होंने मानव चित्तवृति, मनुष्य के द्वारा ‘मैं’ को सब कुछ समझने और उसकी वजह से जीवन में आनेवाली जटिलता व दुर्बलताओं के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि मानव चित्तवृति सांस्कृतिक एवं मानसिक बंधनों से निर्मित है. इस चित्तविृत को ही हम आत्मा समझ बैठते हैं. मनुष्य ‘मैं’ को ही सब कुछ मान उसे सत्य समझता है, पर इसकी वजह से वह मानसिक प्रदूषण के जाल में फंसता जाता है. उन्होंने कहा कि इस ‘मैं’ के बंधन से बाहर आना होगा. रविवार को स्वाध्याय के बाद तप योग से संबंधित कई जानकारियां उपस्थित लोगों को दी गयीं. उधार के ज्ञान, अहंभाव से मुक्ति के उपाय सिखाये गये. इस दौरान कहा गया कि मनुष्य के अंदर जब चैतन्य का प्रस्फुटन होता है, तब मानसिक प्रदूषण का नाश होता है. कार्यक्रम के आयोजन में डॉ निमाई दास बनर्जी, अभितीनंद्रनाथ शर्मा, दीपक आनंद सहित अन्य ने प्रमुख योगदान दिया.

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