धनतेरस में पूजन व खरीदारी का है विशेष महत्व
वरीय संवाददाता, रांचीधनतेरस मंगलवार को है. मंगलवार को तेरस पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष के नाम से भी जाना जाता है. मंगलवार को तेरस मिल रहा है जो सभी के लिए शुभ होगा. इस दिन रात 12.44 बजे तक त्रयोदशी है. जिस कारण श्रद्धालुओं को खरीदारी का काफी समय मिलेगा. सूर्यास्त के बाद से […]
वरीय संवाददाता, रांचीधनतेरस मंगलवार को है. मंगलवार को तेरस पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष के नाम से भी जाना जाता है. मंगलवार को तेरस मिल रहा है जो सभी के लिए शुभ होगा. इस दिन रात 12.44 बजे तक त्रयोदशी है. जिस कारण श्रद्धालुओं को खरीदारी का काफी समय मिलेगा. सूर्यास्त के बाद से रात 12.44 के पूर्व तक खरीदारी की जा सकती है. कई भक्त इस दिन लक्ष्मी गणेश की पूजा अर्चना करते हैं. पूजा के लिए पहला वृश्चिक प्रात: 8.24 से 10.40, दूसरा वृष लग्न शाम 7.10 से 9.05 व तीसरा सिंह लग्न रात 1.38 से 3.51 बजे तक है. लक्ष्मी की पूजा का सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल व स्थिर लग्न वृष में पूजा का विशेष महत्व है. इसमें पूजा करने से घर में धन की स्थिरता आती है. धनतेरस के दिन घर के बाहर एक दीया भी जलाने का विधान है. इस दिन से ही पांच दिनों की दीवाली शुरू हो जाती है. इस दिन नये बरतन, वाहन, सिक्का सहित अन्य उपयोगी सामान खरीदने का विशेष महत्व है. इस दिन कुबेर, यमराज की पूजा अर्चना व लक्ष्मी-गणेश, कुबेर, इंद्र की प्रतिमा खरीदने का भी महत्व है. इसके अलावा घर के मुख्य दरवाजे के समीप व आंगन में दीप जलाने का महत्व है. यम देवता के नाम से दीप जलाने की परंपरा है. ऐसा करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है. देवी पूजन में सात धान्य गेहूं, उड़द, मूंग,चना, जौ, चावल व मसूर से पूजा करने का भी महत्व है. वही देवी को नैवेद्य स्वरूप बताशा, पेड़ा व अन्य सफेद मिठाई, खीर आदि से पूजा का महत्व है. इस दिन किसी से उधार लेने व देने से बचना चाहिए.धनवंतरि की पूजा से बीमारी से राहतधनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा से बीमारी व रोग आदि से छुटकारा मिलता है. कई जगहों पर भगवान की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना की जायेगी. जिसकी तैयारी सोमवार को पूरी कर ली गयी.