अगर महाराष्ट्र में गंठबंधन नहीं टूटते!

-भाजपा-शिव सेना को मिल जाती 203 सीटें-कांग्रेस-एनसीपी को होता नौ सीट का नुकसानसेंट्रल डेस्क महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता के बावजूद भाजपा बहुमत से 22 सीट पीछे रह गयी है. राज्य में भाजपा को 122 और सहयोगी दल को एक सीट मिली है. ऐसे में सवाल है कि भाजपा और शिव सेना का अलग-अलग […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 20, 2014 11:02 PM

-भाजपा-शिव सेना को मिल जाती 203 सीटें-कांग्रेस-एनसीपी को होता नौ सीट का नुकसानसेंट्रल डेस्क महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बड़ी सफलता के बावजूद भाजपा बहुमत से 22 सीट पीछे रह गयी है. राज्य में भाजपा को 122 और सहयोगी दल को एक सीट मिली है. ऐसे में सवाल है कि भाजपा और शिव सेना का अलग-अलग लड़ने का फैसला सही था? कांग्रेस और एनसीपी एक साथ चुनाव मैदान में उतरतीं, तो क्या भाजपा इतनी सीटें जीत पाती? क्या होता, अगर महाराष्ट्र में दोनों गंठबंधन नहीं टूटे होते? यह काल्पनिक सवाल हैं, लेकिन राज्य की राजनीतिक तसवीर को समझने के लिए इसका जवाब ढूंढ़ा जाना जरूरी है.भाजपा, शिव सेना साथ लड़ती, तो उन्हें कम से कम और 18 सीटों का फायदा होता. वहीं, एनसीपी-कांग्रेस गंठबंधन को नौ सीटों का और नुकसान होता. यह आकलन चारों दलों को विधानसभा क्षेत्रों में मिले वोटों को जोड़ कर किया गया है. हालांकि, यह वास्तविक स्थिति की सही तसवीर नहीं पेश करती, क्योंकि राजनीति में गंठबंधन होने और उम्मीदवार के नाम-जाति आदि के आधार पर एक दूसरी तसवीर बनती है और उससे वोटिंग का पैटर्न भी बदल जाता है.इस तथ्य को नजरंदाज करके चारों पार्टियों को मिले वोटों के आधार पर इसे देखें और यह मान लें कि दोनों गंठबंधन बने रहने पर भी वोटिंग पैटर्न यही रहता, तो भाजपा-शिवसेना का गंठबंधन 203 सीटें जीत लेता, जबकि अलग लड़ कर दोनों पार्टियों ने 186 सीटें जीती हैं. वहीं, कांग्रेस और एनसीपी एक साथ 74 सीटें ही जीततीं. अलग-अलग इनकी सीटों की संख्या 83 है….तो होता भाजपा, शिव सेना को नुकसानइसमें एक पहलू जोड़ते हैं कि भाजपा और शिव सेना का गंठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस और एनसीपी का गंठबंधन बना रहता, तो कैसी तसवीर सामने आती. इस स्थिति में कांग्रेस-एनसीपी के खाते में 118 सीटें जातीं, अभी मिलीं सीटों से 35 ज्यादा. इस परिस्थिति में भाजपा 102 और शिव सेना 51 सीट ही जीत पाती.

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