90 रुपये की साड़ी 190 में खरीदी!
संजय सरकार की धोती-साड़ी-लुंगी योजना में गड़बड़ी की आशंका रांची : विभिन्न जिलों की जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों से गरीब परिवार की महिलाओं को साड़ी का वितरण शुरू हो गया है. धोती-साड़ी-लुंगी वितरण योजना के तहत यह साड़ी उन्हें सिर्फ 10 रुपये में उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है. इधर, पीडीएस दुकानदार […]
संजय
सरकार की धोती-साड़ी-लुंगी योजना में गड़बड़ी की आशंका
रांची : विभिन्न जिलों की जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों से गरीब परिवार की महिलाओं को साड़ी का वितरण शुरू हो गया है. धोती-साड़ी-लुंगी वितरण योजना के तहत यह साड़ी उन्हें सिर्फ 10 रुपये में उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है.
इधर, पीडीएस दुकानदार महिलाओं से 10 के बदले 20 रुपये वसूल रहे हैं. वितरित की जानेवाली साड़ी पोलियेस्टर या इससे मिलते-जुलते कृत्रिम धागे से बनी है. खुले बाजार में इसकी कीमत 90-100 रुपये बतायी जा रही है.सरकार ने इसे 190 रुपये प्रति साड़ी की दर से खरीदी है. इससे इस योजना में भारी गड़बड़ी की आशंका हैं.
नामकुम प्रखंड में एक साड़ी लेकर इसकी गुणवत्ता व कीमत की जानकारी वस्त्र विक्रेताओं से ली गयी. उनका कहना था कि यह साड़ी 90 या 100 रु से अधिक की नहीं है. यह भी इसकी खुदरा कीमत है. थोक में इसकी कीमत और कम होगी. उधर, धोती-लुंगी के बारे में अभी स्पष्ट जानकारी नहीं मिली है. जिलों के जिला आपूर्ति पदाधिकारी उपायुक्तों के सामने आग्रह कर रहे हैं कि सर सहयोग करें, नहीं तो नौकरी चली जायेगी.
गौरतलब है कि इस योजना के तहत राज्य भर के कुल 35,09,833 बीपीएल परिवारों के एक स्त्री-पुरुष को वर्ष में दो-दो धोती, साड़ी या लुंगी उपलब्ध करायी जानी है. यानी एक वर्ष में करीब 70 लाख साड़ी व 70 लाख धोती या लुंगी का वितरण होगा. चालू वित्तीय वर्ष में इसके लिए 230 करोड़ का बजट रखा गया है.
निविदा में गड़बड़ी
निविदा के समय से ही यह योजना अपनी शर्तो को लेकर विवादों में रही है. खाद्य आपूर्ति विभाग ने वित्त विभाग के दो सुझाव भी नहीं माने थे. पहला सुझाव यह था कि एक ही साथ लुंगी, साड़ी व धोती की आपूर्ति के अलावा इनकी अलग-अलग आपूर्ति के लिए भी टेंडर आमंत्रित किये जायें, ताकि इनकी प्रतियोगी कीमत को बढ़ावा मिले.
यदि एक साथ आपूर्ति करनेवाली पार्टी से एक सामग्री सप्लाइ करनेवाली पार्टी की कीमत कम होगी, तो विभाग उसी से संबंधित कपड़े खरीद सकता है, पर यह सुझाव विभाग ने नहीं माना. वहीं वित्त का यह सुझाव भी नहीं माना गया, जिसमें कहा गया था कि धोती, साड़ी व लुंगी के नीचे छोटे अक्षरों में योजना का नाम सोना-सोबरन धोती, साड़ी, लुंगी योजना लिखा जाये. इससे इन कपड़ों की ब्लैक मार्केटिंग रोकी जा सके.
सैंपल की जांच होगी
नाम न छापने की शर्त पर एक उपायुक्त ने प्रभात खबर से कहा है कि उनके जिले में वितरण अभी शुरू ही हुआ है. वह साड़ी व अन्य कपड़ों का सैंपल चेक करवाने जा रहे हैं. खरीद विभाग से हुई है, उनका काम सिर्फ कपड़ों की संख्या संबंधी सूचना विभाग को देने का है.