मोदी-शाह के 42 प्लस टॉस्क को पूरा करने ताकत झोंकेगी झारखंड भाजपा
रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस बार का चुनाव पूर्व की चुनावों से अलग है. देश के राजनीतिक आसमान से गंठबंधन का बादल छटता नजर आ रहा है. राजनीतिक प्रेक्षकों का आकलन है कि झारखंड की राजनीतिक परिदृश्य पर भी इसका असर होगा. भारतीय जनता पार्टी अपने पूरे दम-खम वाले […]
रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस बार का चुनाव पूर्व की चुनावों से अलग है. देश के राजनीतिक आसमान से गंठबंधन का बादल छटता नजर आ रहा है. राजनीतिक प्रेक्षकों का आकलन है कि झारखंड की राजनीतिक परिदृश्य पर भी इसका असर होगा. भारतीय जनता पार्टी अपने पूरे दम-खम वाले नये नेतृत्व नरेंद्र मोदी-अमित शाह की अगुवाई में चुनाव मैदान में कूदने जा रही है. मलेट्री कमांडर की तरह नक्शा के आधार पर चुनाव रणनीति तय करने वाले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पहले ही प्रदेश इकाई के नेताओं को 42 प्लस का टास्क दे रखा है.
राज्य के नेताओं को मोदी-शाह का स्पष्ट संकेत है कि आपसी प्रतिस्पर्धा में पार्टी हित को वे कोई नुकसान नहीं पहुंचायें. भाजपा ने महाराष्ट्र व हरियाणा के फामरूले पर अमल करते हुए झारखंड के लिए भी कोई नेता नहीं प्रोजेक्ट किया है. झारखंड के लिए यह पहला चुनाव होगा, जिसे प्रधानमंत्री के चेहरे को सामने रख कर लड़ा जायेगा और पीएम नरेंद्र मोदी की विश्वसनीयता व मजबूत नेतृत्व के आधार पर ही राज्य की अगली सरकार चुनने का भाजपा आह्वान करेगी. झारखंड को गंठबंधन की राजनीति से बाहर कराने के लिए भाजपा के लिए यह चुनाव अगिAपरीक्षा होगी.
जाहिर है, चुनाव की घोषणा के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह महाराष्ट्र-हरियाणा की तरह अगले डेढ़ महीने के लिए झारखंड का लगातार दौरा करेंगे. मोदी के लिए झारखंड की चुनाव लड़ाई को जितने के प्रतीकात्मक मायने भी हैं. अगर झारखंड में भाजपा स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाती है, तो अगले साल पड़ोसी बिहार में भाजपा को इसका मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा. फिर पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी भाजपा इसका लाभ लेने की कोशिश करेगी. भाजपा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों को टिकट देने में उनकी साफ-सुथरी छवि का पूरा ख्याल रखेगी, ताकि जनता में बेहतर संदेश जाये.