ऑनलाइन हेल्थ काउंसलिंग

अवसाद पीडि़त लोगों की न करें तीखी आलोचनारांची : रविवार को प्रभात खबर कार्यालय में हेल्थ काउंसलिंग के दौरान वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर अनिल कुमार ने पाठकों को स्क्जिोफ्रेनिया, अवसाद, एडीएचडी व अन्य मानसिक रोगों से संबंधित सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि वर्तमान में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अवसाद या डिप्रशेन से अधिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 26, 2014 11:02 PM

अवसाद पीडि़त लोगों की न करें तीखी आलोचनारांची : रविवार को प्रभात खबर कार्यालय में हेल्थ काउंसलिंग के दौरान वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर अनिल कुमार ने पाठकों को स्क्जिोफ्रेनिया, अवसाद, एडीएचडी व अन्य मानसिक रोगों से संबंधित सवालों के जवाब दिये. उन्होंने बताया कि वर्तमान में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अवसाद या डिप्रशेन से अधिक प्रभावित होती हैं. अवसाद के प्रमुख लक्षण चिड़चिड़ापन, कमजोरी, सुस्ती, पढ़ने, काम करने व बातचीत में मन नहीं लगना, भूख की कमी या अत्यधिक भूख लगना व कब्जियत है. अवसाद के कारण लोग असहाय महसूस करते हैं. साथ ही उनमें आत्महत्या का विचार आने लगता है, जो खतरनाक है. ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति में सकारात्मक सोच लायें और मन में नकारात्मक विचारों को हावी न होने दें. अवसाद का इलाज दवाई से संभव है. अवसाद से पीडि़त व्यक्ति की आलोचना ना करें बल्कि उन्हें प्यार से बात समझायें. उन्हें तंग नहीं किया जाना चाहिए. घर में यदि कोई परेशान है तो हो सकता है कि वह अवसाद से भी पीडि़त हो. ऐसे में घर का माहौल शांतिपूर्ण बनायें रखें. स्किजोफ्रेनिया भी एक मानसिक बीमारी है और इसमें व्यक्ति अपने नजदीक के लोगों को शंका की नजर से देखता है. उसे वहम हो जाता है. स्वयं से बातें करना, सामाजिक-पारिवारिक कार्यकलापों में अनिच्छा, घर से बाहर नहीं निकलना आदि लक्षण होते हैं. ऐसे में पीडि़त व्यक्ति को नींद नहीं आती है. इसका इलाज किया जाना जरूरी है नहीं तो यह बीमारी असाध्य रूप ले लेती है. दवाई के साथ इंजेक्शन व ड्रॉप से इसका इलाज किया जाता है जिसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं. डॉक्टर का पता डॉ अनिल कुमार सेन्टेविटा अस्पताल, फिरायालाल चौक रांची, दूरभाष :9572786141

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