लोक कल्याण के नजरिये से टाटा समूह का यात्रा वृत्तांत सुनाती एक पुस्तक

एजेंसियां, नयी दिल्लीटाटा समूह की मूल मान्यताएं क्या हैं तथा इसके विकास में उस परोपकारी न्यासों की क्या भूमिका रही है जो दो तिहाई कंपनी के स्वामी हैं. एक नयी पुस्तक में इन प्रश्नों की गहराई में उतरने का प्रयास किया गया है जो टाटा समूह का एक संक्षिप्त इतिहास भी है.पीटर कैसे द्वारा लिखी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 26, 2014 11:02 PM

एजेंसियां, नयी दिल्लीटाटा समूह की मूल मान्यताएं क्या हैं तथा इसके विकास में उस परोपकारी न्यासों की क्या भूमिका रही है जो दो तिहाई कंपनी के स्वामी हैं. एक नयी पुस्तक में इन प्रश्नों की गहराई में उतरने का प्रयास किया गया है जो टाटा समूह का एक संक्षिप्त इतिहास भी है.पीटर कैसे द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘दी ग्रेटेस्ट कंपनी इन दी वर्ल्ड? : दी स्टोरी ऑफ टाटा’ में यह जिक्र किया गया है कि कैसे टाटा ने खुद को एक पारिवारिक उद्यम से एक दिग्गज उद्योग समूह में ढाला. टाटा ने क्या उपाय किये जिससे आज उसे इतनी ख्याति व सम्मान प्राप्त है.पुस्तक में कंपनी को दुनिया की सबसे अधिक पेशेवर तरीके से चलायी जाने वाली कंपनियों में से एक कंपनी बनाने के लिए टाटा समूह के प्रत्येक चेयरमैन – जमशेदजी टाटा से लेकर रतन टाटा और साइरस मिस्त्री द्वारा किये गये योगदान को गिनाया गया है. जमशेदजी टाटा ने 1868 में इस कंपनी की स्थापना की थी.क्लैडेग रिसोर्सेज के संस्थापक व कार्यकारी चेयरमैन के तौर पर कैसे ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के बारे में मानव संसाधन अधिकारियों के बीच बेहतर समझ विकसित करने के उद्देश्य से पुस्तक लिखने का निर्णय किया था. उन्होंने कहा, ऐसी उम्मीद थी कि यह 15 पन्नों वाला संक्षिप्त विवरण होगा, लेकिन टीसीएस और टाटा के बारे में मैं जितना अध्ययन करता गया, उतना अधिक इसकी गहराई में उतरता चला गया. लेखक के मुताबिक, जहां अन्य सफल पूंजीपतियों और उद्योगपतियों ने मुनाफा कमाने और धन एकत्र करने के लिए कंपनियां शुरू की, वहीं जमशेदजी टाटा ने परोपकारी न्यासों के बीज डाले. टाटा समूह में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी इन न्यासों के पास है.

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