रांची : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एमपी पांडेय ने नयी नियुक्ति की अनुमति नहीं मिल पाने पर अफसोस जाहिर किया. सोमवार को बीएयू में हुई प्रसार शिक्षा परिषद की 26वीं बैठक में उन्होंने कहा कि वह बार-बार प्रयास कर रहे हैं कि नियुक्ति की अनुमति मिले. लेकिन, राजभवन ने इस पर रोक लगा रखी है.
फैकल्टी नहीं होने के कारण वेटनरी कॉलेज में वीसीआइ ने एडमिशन पर रोक लगा दी है. कृषि संकाय में मात्र 25 फीसदी शिक्षक बच गये हैं. मुश्किल से संस्थान चल रहा है. इसमें भी हम अच्छा करने की कोशिश कर रहे हैं.
सोशल इंजीनियरिंग की भी पढ़ाई हो : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के पूर्व डीडीजी डॉ सी प्रसाद ने कहा कि कृषि शिक्षा में व्यापक फेरबदल की जरूरत है. कोर्स में प्रशिक्षण के साथ सोशल इंजीनियरिंग की भी पढ़ाई होनी चाहिए. मौके पर उप निदेशक अनुसंधान डॉ डीके सिंह द्रोण ने कहा कि बिना अनुसंधान के प्रसार का काम नहीं हो सकता है.
निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आरपी सिंह रतन ने बीएयू में प्रसार शिक्षा के क्षेत्र में किये गये कार्यो की जानकारी दी. राज्य के निदेशक (गव्य) डॉ एके पांडेय ने बीएयू से चारा बीज उत्पादन में सहयोग मांगा. महाराणा प्रसाद कृषि विवि के कुलपति डॉ आरपी सिंह ने भी विचार रखे.
.. नहीं तो रोक देंगे राशि : आइसीएआर के जोनल प्रोजेक्ट निदेशक बीएयू द्वारा संचालित केवीके की स्थिति से संतुष्ट नजर नहीं आये. उन्होंने कहा कि बीएयू द्वारा संचालित 16 केवीके में 256 स्वीकृत पद हैं. काम कर रहे हैं मात्र 89. इसमें से भी कुछ को मुख्यालय में बुला कर काम कराया जा रहा है. सभी के लिए पैसा आइसीएआर से मिलता है. संस्थान मुख्यालय में काम करनेवाले एक भी कर्मी को पैसा नहीं देगी. कहा कि संस्थान व सरकार के साथ तालमेल में कमी है. दोनों की रिपोर्ट अलग-अलग आती है. आधारभूत संरचना के विकास के लिए जो राशि दी जाती है, उसका खर्च भी नहीं किया जाता है.