डब्ल्यूइएफ की स्त्री-पुरुष असमानता रिपोर्ट जारी

भारत का प्रदर्शन बेहद खराब142 देशों की रैंकिंग में हम 114वें स्थान पर योशिता सिंह, न्यूयार्कस्त्री-पुरुष के बीच असमानता दूर करने में भारत का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और वैश्विक आर्थिक मंच की 2014 की स्त्री-पुरुष असमानता सूचकांक में 142 देशों में इसने 114वां स्थान प्राप्त किया है. आर्थिक भागीदारी, शैक्षणिक उपलब्धियों और स्वास्थ्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 28, 2014 11:02 PM

भारत का प्रदर्शन बेहद खराब142 देशों की रैंकिंग में हम 114वें स्थान पर योशिता सिंह, न्यूयार्कस्त्री-पुरुष के बीच असमानता दूर करने में भारत का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और वैश्विक आर्थिक मंच की 2014 की स्त्री-पुरुष असमानता सूचकांक में 142 देशों में इसने 114वां स्थान प्राप्त किया है. आर्थिक भागीदारी, शैक्षणिक उपलब्धियों और स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता के पैमानों पर भारत को औसत से कम आंका गया है.वैश्विक आर्थिक मंच द्वारा मंगलवार को जारी रपट के मुताबिक भारत पिछले साल के 101वें स्थान के मुकाबले 13 पायदान लुढ़क गया. भारत श्रम बल भागीदारी, अनुमानित अर्जित आय, साक्षरता दर और जन्म के समय लैंगिक अनुपात के संकेतकों के लिहाज से 20 सबसे अधिक खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल रहा. दूसरी ओर भारत राजनीति सशक्तिकरण उपसूचकांक में 20 सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले देशेां में शामिल रहा. वैश्विक आर्थिक मंच ने यह सूचकांक सबसे पहले 2006 में पेश किया था, ताकि लैंगिक असमानता की स्थिति और इसमें प्रगति का आकलन किया जा सके. इस सूचकांक के संकेतकों में राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक और स्वास्थ्य संबंधी मामलों में स्त्री-पुरुष असमानता शामिल हैं. आर्थिक भागीदारी : इसके लिहाज से भारत 134वें स्थान पर है. श्रम बल में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अनुपात 0.36 है. आय के लिहाज से यहां महिलाओं ने जहां 1980 डॉलर अर्जित किये, वहीं पुरुषों की अर्जित आय 8,087 डॉलर रही. शैक्षणिक उपलब्धियां : इसमें भारत का स्थान 126वां रहा और पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का साक्षरता अनुपात 0.68 रहा.स्वास्थ्य व उत्तरजीविता : इस लिहाज से ठीक आर्मीनिया से पहले भारत 141वें स्थान पर रहा. राजनीतिक सशक्तीकरण : राजनीतिक सशक्तिकरण उपसूचकांक में भारत उल्लेखनीय रूप से काफी ऊपर है. इस मामलें में भारत 15वें पायदान पर रहा. इसका आधार पिछले पिछले 50 साल में शासनाध्यक्ष के पद पर महिलाओं प्राप्त आवसर है. भारत से ऐसे साक्ष्य भी मिले हैं कि महिलाओं को स्थानीय निकायों में खास कर जब बजट संबंधी फैसलों का जिम्मा दिया जाता है तो वे समाज के लिए पुरुषों की तुलपना मुकाबले बेहतर फैसले लेती हैं.क्या कहती है रिपोर्टरपट में कहा गया है कि भारत में स्त्री-पुरष के बीच सबसे अधिक असमानता अवैतनिक कार्य पर प्रतिदिन खर्च किये गये औसत मिनट का है. स्त्री-पुरुष के बीच अवैतनिक कार्य के बीच का फर्क 300 मिनट है. यह फर्क उन देशों में भी है जहां कुल अनुसंधान एवं विकास कर्मियों में स्त्री-पुरुष का फर्क सबसे अधिक है. भारत में ऐसी फर्मों की संख्या सबसे कम हैं जिसका स्वामित्व महिलाओं के पास है.अब तक की रैंकिंग2010-112वां स्थान.2012- 105वां स्थान.2013-101वां स्थान.2014- 114वां स्थान.(भारत का स्थान संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सऊदी अरब, पाकिस्तान और जार्डन से बेहतर रहा.)आइसलैंड पहले स्थान परइस सूचकांक में आइसलैंड पहले स्थान पर रहा जहां पिछले 50 साल में से 20 साल महिला राष्ट्राध्यक्ष रहीं. आइसलैंड 2009 से इस सूचकांक में शीर्ष स्थान पर है. आइसलैंड के बाद क्रमश: फिनलैंड, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क का स्थान है. अमेरिका इस सूची में 20वें स्थान पर है. पाकिस्तान सभी चार मानकों पर खराब प्रदर्शन के साथ 141वें स्थान पर है. (ये खबर बॉक्स में मुख्य खबर के साथ)समानता की बात, अभी दिल्ली दूरजिनीवा. यदि कार्यस्थल पर स्त्री-पुरुष समानता की स्थिति का इंतजार कर रहे हैं तो इसके लिए 80 साल के लंबे इंतजार के लिए तैयार रहें. वैश्विक आर्थिक मंच द्वारा प्रकाशित रपट के मुताबिक स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे क्षेत्रों में महिलाएं तेजी से इस असमानता को पाट रही हैं लेकिन 2095 से पहले कार्यस्थल पर असमानता खत्म नहीं हो सकेगी. मंच ने एक बयान में कहा ‘ऐसी स्थिति में इस असमानता को पाटने में 81 साल का समय लगेगा.’ मंच के संस्थापक और प्रमुख क्लॉस श्वाब के मुताबिक यह प्रक्रिया तेज हो तो यह दुनिया बेहतर होगी. रपट के मुताबिक कार्यस्थल से भी अधिक राजनीतिक भागीदारी बेहद पीछे है और विश्व के नीति निर्माताओं में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 21 प्रतिशत है. फिर भी यही वह क्षेत्र है जिसमें हाल के वर्षों में सबसे अधिक प्रगति हुई.कोटस्त्री-पुरुष समानता की स्थिति आना आर्थिक वजहों से स्पष्ट रूप से आवश्यक है. सिर्फ वही अर्थव्यवस्थाएं प्रतिस्पर्धी और संपन्न होंगी जिनकी अपनी प्रतिभाओं तक पूर्ण पहुंच होगी.क्लॉस श्वाब, मंच के संस्थापकक्या कहती हैं रपट की लेखिकाराजनीति के मामले में वैश्विक स्तर पर पिछले नौ साल में सांसदों की संख्या 26 प्रतिशत बढ़ी और महिला मंत्रियां की संख्या 50 प्रतिशत बढ़ी. ये दूरगामी बदलाव हैं. हालांकि इस मामले में बहुत कुछ किया जाना बाकी है और कुछ क्षेत्रों में बदलाव की दर बढ़ाने की जरूरत है.सादिया जाहिदी, रपट की प्रमुख लेखिकापांच यूरोपीय देश अव्वलआइसलैंड के नेतृत्व में पांच उत्तरी यूरो के देश स्त्री-पुरुष समानता के लिहाज से अव्वल नंबर पर रहे. इनके अलावा निकारागुआ, रवांडा, आयरलैंड, फिलिपीन और बेल्जियम शीर्ष 10 देशों में शामिल रहे जबकि यमन लगातार नौवें साल सबसे निचले स्तर पर रहा. बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में ब्राजील 71वें, रूस 75वें, चीन 87वें और भारत 114वें स्थान पर रहे.

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