किसान विकास पत्र का होगा कायाकल्प
घोषणा. केंद्र सरकार बनायेगी बचत का नया साधनइंट्रो:::उद्योगपतियों और छोटे कारोबारियों को साधने के बाद केंद्र की नजर अब देश के किसानों पर है. किसानों की माली आर्थिक हालत में सुधार के लिए सरकार जहां एक ओर किसान उत्पादक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कानून में संशोधन करने पर विचार कर रही […]
घोषणा. केंद्र सरकार बनायेगी बचत का नया साधनइंट्रो:::उद्योगपतियों और छोटे कारोबारियों को साधने के बाद केंद्र की नजर अब देश के किसानों पर है. किसानों की माली आर्थिक हालत में सुधार के लिए सरकार जहां एक ओर किसान उत्पादक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कानून में संशोधन करने पर विचार कर रही है, वहीं किसानों को बचत साधन उपलब्ध कराने के लिए किसान विकास पत्र को नये रूप मंे पेश करेगी. वहीं, यूपी के गन्ना किसानों की नाराजगी को दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं, तो चीनी की निर्यात सब्सिडी उत्पादन का आकलन करने के बाद जारी करने पर विचार किया जा रहा है. कुल मिला कर यह कि एनडीए सरकार किसानों का विकास अपने घोषणा पत्र के जरिये करने के बाद कायाकल्प करने के मूड में दिखायी दे रही है. एजेंसियां, नयी दिल्लीसरकार किसान विकास पत्र (केवीपी) को नये रूप में जल्द ही जारी करेगी. इसके अलावा, कन्याओं और शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए कुछ नयी बचत योजनाओं को भी पेश किया जायेगा. वित्त मंत्रालय में संयुक्त बजट सचिव रजत भार्गव ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हम केवीपी को बचत साधन को नये रूप में पेश करने जा रहे हैं. सरकार सरकार कन्या और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को लिए भी बचत के साधन उपलब्ध करायेगी. संयुक्त बजट सचिव का यह बयान वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजटीय भाषण के अनुरूप है. बजट भाषण में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि वह किसान विकास पत्र को फिर से पेश करेंगे, जो लघु बचतकर्ताओं में काफी लोकप्रिय रहा है. हालांकि श्यामला गोपीनाथ समिति की रिपोर्ट के बाद केवीपी को यूपीए सरकार द्वारा वर्ष 2011 में बंद कर दिया गया था. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि केवीपी को बंद किया जा सकता है, क्योंकि इसका दुरुपयोग हो सकता है. किसान विकास पत्र एक लोकप्रिय बचत योजना थी, जो आठ वर्ष सात महीनों में जमा राशि को दोगुना कर देती थी. सरकार देश के डाकघरों के जरिये इन बचत बांडों को बेचती रही है. नयी सरकार ने वित्तीय समावेश और औपचारिक वित्तीय ‘चैनलों’ तक पहुंच को अपनी प्राथमिकता के क्षेत्र के तौर पर पहचान की है. किसान विकास पत्र को फिर से पेश करने को इसी उद्देश्य की दिशा में की जा रही पहल के तौर पर देखा जा रहा है.बॉक्स आइटमएनसीडीसी में संशोधन करेगी सरकारकृषि मंत्रालय ने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को शामिल करने, वित्तीय सहायता प्रदान करने और सरकारी सब्सिडी देने के लिए एनसीडीसी कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है. मौजूदा समय में राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (एनसीडीसी) कमजोर तबकों से आनेवालों सहित सहकारी संस्थाओं को आधारभूत ढांचा और व्यवसाय विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है. कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमने एफपीओ को ऋण और सब्सिडी उपलब्ध कराने के लिए कानून में मामूली संशोधन का सुझाव दिया है. अधिकारी ने कहा कि सरकार बड़े पैमाने पर एफपीओ की स्थापना को प्रोत्साहन दे रही है. विभिन्न योजनाओं के जरिये ऋण सुविधा प्रदान करने का प्रयास कर रही है, ताकि एफपीओ लाभप्रद बने.निर्यात सब्सिडी के पहले चीनी उत्पादन का होगा आकलनसरकार कच्ची चीनी के निर्यात पर सब्सिडी देने के बारे में फैसला चालू विपणन वर्ष 2014-15 के चीनी उत्पादन और किसानों को गन्ना बकाये के अनुमान का आकलन करने के बाद करेगी. खाद्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने यह जानकारी दी. चीनी विपणन वर्ष अक्तूबर से लेकर सितंबर तक का होता है. वर्ष 2014-15 में निर्यात सब्सिडी देने के बारे में पूछे जाने पर खाद्य सचिव सुधीर कुमार ने बताया कि हम चीनी उत्पादन और गन्ना बकाया के आकलन के बाद इस मुद्दे पर गौर करेंगे. हम 29 अक्तूबर को होनेवाले गन्ना आयुक्तों की बैठक में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे. यह खुला मुद्दा है. हम स्थिति का अध्ययन करने के बाद विचार करेंगे. इस वर्ष फरवरी में तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा घोषित सब्सिडी योजना सितंबर में समाप्त हो गयी. केंद्र सरकार ने फरवरी में विपणन वर्ष 2013-14 और वर्ष 2014-15 के दौरान 40 लाख टन कच्ची चीनी निर्यात के लिए सब्सिडी की घोषणा की थी.यूपी चीनी मिलों को राह पर आने की उम्मीदउत्तर प्रदेश में गन्ना पेराई इस बार नहीं करने की निजी चीनी मिलों की धमकी के बीच केंद्र ने सोमवार को कहा कि प्रदेश में पेराई शुरू होने में 10-15 दिन की देर जरूर हो सकती है, पर मिल मालिक अंतत: अपनी मिलें चलायेंगे. देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक उत्तर प्रदेश की निजी चीनी मिलों ने कुछ माह पहले धमकी दी थी कि यदि राज्य सरकार ने गन्ने के दाम को चीनी की कीमत से नहीं जोड़ा, तो वे मौजूदा 2014-15 सत्र में पेराई नहीं करेंगी. मिल मालिकों का कहना है कि उन्हें पेराई स्थगित करने का नोटिस जारी करने के लिए बाध्य होना पड़ा है. उनका दावा है कि पिछले पेराई वर्ष में प्रदेश में राज्य द्वारा तय गन्ने की कीमत काफी ऊंची होने और उसकी तुलना में चीनी की बिक्री से आय कम होने के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ है. खाद्य सचिव सुधीर कुमार ने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं होगा कि उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें लंबे समय तक बंद रहेंगी. मेरा मानना है कि सभी मिलें काम शुरू करेंगी, लेकिन इसमें 10-15 दिन की देरी हो सकती है.