आदिवासी समाज में जतरा का विशेष महत्व : डॉ मिंज…ओके

फोटो काठ के घोडे़ पर सवार होकर जतरा स्थल का परिभ्रमण करते डॉ मिंज व अन्य। -इटकी में सोहराइ जतरा सह सभा का आयोजनइटकी. आदिवासी समाज में जतरा का विशेष महत्व है. इसमें लोगों को मिलने-जुलने का मौका मिलता है. शादी-विवाह जैसे शुभ कार्य के लिए विचारों का आदान-प्रदान भी होता है. उक्त बातें रांची […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2014 11:02 PM

फोटो काठ के घोडे़ पर सवार होकर जतरा स्थल का परिभ्रमण करते डॉ मिंज व अन्य। -इटकी में सोहराइ जतरा सह सभा का आयोजनइटकी. आदिवासी समाज में जतरा का विशेष महत्व है. इसमें लोगों को मिलने-जुलने का मौका मिलता है. शादी-विवाह जैसे शुभ कार्य के लिए विचारों का आदान-प्रदान भी होता है. उक्त बातें रांची विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ दिवाकर मिंज ने कही. वे शुक्रवार को इटकी मोड़ में आयोजित सोहराइ जतरा सह सभा में बोल रहे थे. डॉ मिंज ने जतरा में शामिल विभिन्न पड़हा समितियों को सरना झंडा देकर सम्मानित किया. इससे पूर्व काठ के बने पड़हा निशान घोड़ा पर सवार होकर डॉ मिंज ने जतरा स्थल का परिभ्रमण किया. जतरा की शुरुआत बारीडीह के पाहन चेतो उरांव द्वारा शक्तिखूंट की पूजा कर की गयी. इधर, जतरा में ग्रामीणों ने जम कर खरीदारी की. खिलौना व सौंदर्य प्रसाधन की दुकानों में सबसे ज्यादा भीड़ देखी गयी. लोगों के मनोरंजन के लिए नागपुरी गीत-संगीत का भी प्रबंधन किया गया था. देर रात तक लोगों ने कार्यक्रम का आनंद उठाया. आयोजन को सफल बनाने में डॉ रागिनी मिंज, डॉ देलोमयी हांसदा, जगेश्वर सिंह, जन्मय गोप, देवेंद्र गोप आदि ने सहयोग किया.

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