विरासत की रक्षा करता है सीएनटी एक्ट : डॉ कलाउस
चाई कॉफ्रेंस में दूसरे दिन 12 शोधपत्र पढ़े गयेतसवीर राज वर्मा की हैसंवाददातारांची : चर्च हिस्ट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया (चाई) के कांफ्रेंस में दूसरे दिन 12 शोधपत्र पढ़े गये. इनमें प्रारंभिक मिशनरियों के कार्य, शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक परिवर्तनों की दिशा में मिशन संस्थाओं के योगदान एवं प्रभाव पर चर्चा की गयी. गोस्सनर मिशन जर्मनी […]
चाई कॉफ्रेंस में दूसरे दिन 12 शोधपत्र पढ़े गयेतसवीर राज वर्मा की हैसंवाददातारांची : चर्च हिस्ट्री एसोसिएशन ऑफ इंडिया (चाई) के कांफ्रेंस में दूसरे दिन 12 शोधपत्र पढ़े गये. इनमें प्रारंभिक मिशनरियों के कार्य, शिक्षा, स्वास्थ्य व सामाजिक परिवर्तनों की दिशा में मिशन संस्थाओं के योगदान एवं प्रभाव पर चर्चा की गयी. गोस्सनर मिशन जर्मनी के डॉ कलाउस रोयबर ने सीएनटी एक्ट 1908 पर अपने अध्ययन की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सीएनटी एक्ट आदिवासी परंपरा, रीति-रिवाज पर ध्यानाकर्षण कराता है. यह एक्ट आदिवासियों की विरासत की रक्षा करता है. इस लिहाज से यह महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट है. आदिवासियों की जमीन संबंधी अपनी व्यवस्था को सुरक्षित करने की बात इस एक्ट में है. प्रो निझर झरिया मिंज ने मिशनरियों के शिक्षा में योगदान एवं उसके प्रभावों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि पहले धमुकुडि़या जैसी संस्थाओं के जरिये आदिवासी युवा अपनी परंपरा व सामाजिक व्यवहार की जानकारी प्राप्त करते थे. मिशनरियों ने सुसमाचार प्रचार के साथ शिक्षा का भी प्रचार किया. 1884 में 38 गांवों में स्कूल थे. 1910 में एसपीजी मिशन के ही 118 स्कूल चल रहे थे. शिक्षा की वजह से ईसाई आदिवासियों के जीवन में जबरदस्त बदलाव आया. डॉ जेनेट पिंटों ने तोरपा में सिस्टर करुणा मेरी के कार्यों की चर्चा की. सिस्टर मेरी ने तोरपा में महिलाओं व बच्चियों की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया था. जीइएल चर्च के बिशप एएस हेंब्रोम ने आदिवासियों में राजनीतिक चेतना के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सुसमाचार प्रचार के साथ मिशनरियों ने आदिवासियों के दुख-दर्द के साथ खुद को जोड़ा. उन्होंने राजनीतिक चेतना के बीज भी बोये. आज हालात एक बार फिर से खराब हो चुके हैं और अब नयी राजनीतिक चेतना की जरूरत है. डॉ जॉन डायस, डॉ वेदपाल सिंह देशवाल, डॉ उलरिक शोंटुबे, डॉ फ्रांसिस मिंज, डॉ बलबीर केरकेट्टा ने भी अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये. इस अवसर पर कांफ्रेंस के कन्वेनर फादर डॉ जोस कालापुरा, डॉ मनमसीह एक्का, रेव्ह डॉ जॉर्ज ओमेन सहित अन्य उपस्थित थे. शाम के सत्र में प्रतिभागियों ने रांची के पुराने चर्चों का दौरा किया.