नात व तकरीर का सिलसिला चला
महुआडांड़. कत्ल-ए- हुसैन असल में मर्ग-ए-यजीद है, इसलाम जिंदा होता है हर करबला के बाद. हजरत हुसैन हमेशा जिंदा हैं, जिंदा रहंेगे. यजीद मर गया, वो मुरदा रहेगा. दीन की खातिर अपनी जान दे दे, उसे मुरदा न कहा जाये. वे शहीद हुए और आज भी जिंदा है. ये बातंे डालटनगंज से आये मौलाना जाबिर […]
महुआडांड़. कत्ल-ए- हुसैन असल में मर्ग-ए-यजीद है, इसलाम जिंदा होता है हर करबला के बाद. हजरत हुसैन हमेशा जिंदा हैं, जिंदा रहंेगे. यजीद मर गया, वो मुरदा रहेगा. दीन की खातिर अपनी जान दे दे, उसे मुरदा न कहा जाये. वे शहीद हुए और आज भी जिंदा है. ये बातंे डालटनगंज से आये मौलाना जाबिर हुसैन ने डिपाटोली में आयोजित जिक्र-ए-शहादत ए करबला कांफ्रेंस में कही. जामिया नूरिया ज्याउल इसलाम के इमाम मुस्तेजाब आलम ने हजरते हसन व हुसैन रजी अल्लाहो ताआला अन्हों की जीवनी की व्याख्या की. असरफिया गरीब नवाज के इमाम अब्दुल सुकुर ने कहा- जो दहकती रेत के बिस्तर पर सोया, ओ हुसैन जिन्होंने अपने खून से दुनिया को धोया, ओ हुसैन जो जवां बेटे की मय्यत पर न रोये, ओ हुसैन जिन्होंने सब कुछ खो भी कुछ भी न खोया, ओ हुसैन. इसके बाद नात व तकरीर का सिलसिला चलता रहा. फिर फातहाखानी की गयी व शिरनी बांटी गयी. मौके पर मुहर्रम इंतजामिया कमेटी से आरिफ आलम, शेरू (सद्दाम) जावेद अनवर, वसीम, सगीर अहमद, सुवेण समेत सैकड़ों की संख्या में लोग कार्यक्रम में उपस्थित थे.