खरीफ की फसल के लिए 1.70 लाख टन यूरिया की जरूरत

झारखंड ने किसानों के लिए 1.70 लाख टन यूरिया की जरूरत भारत सरकार को बतायी है. वहीं मासिक आवंटन प्लान भी केंद्र को भेज दिया है. यूरिया की कीमत प्रति बैग 265.50 रु निर्धारित की गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2020 2:26 AM

रांची : झारखंड ने किसानों के लिए 1.70 लाख टन यूरिया की जरूरत भारत सरकार को बतायी है. वहीं मासिक आवंटन प्लान भी केंद्र को भेज दिया है. यूरिया की कीमत प्रति बैग 265.50 रु निर्धारित की गयी है. कृषि विभाग ने खाद की कालाबाजारी पर नजर रखने का निर्देश सभी जिलों के कृषि पदाधिकारियों को दिया है. जिला स्तर पर उड़न दस्ता का गठन भी किया जायेगा. खाद विक्रेताओं को भी निर्देश दिया गया है, कि सरकार द्वारा तय कीमत पर ही खाद बेचे.

कृषि विभाग ने अप्रैल से लेकर सितंबर तक का सप्लाई प्लान भारत सरकार को भेजा है. हर माह के हिसाब से रेल रैक से खाद उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है. जुलाई और अगस्त में सबसे अधिक 40-40 हजार टन यूरिया की मांग की गयी है. इसी अवधि में 20-20 हजार टन डीएपी की भी मांग की गयी है.

दो नये रैक प्वाइंट पर उतरेगा खाद : राज्य सरकार कई वर्षों से रैक प्वाइंट बढ़ाने का आग्रह भारत सरकार से कर रही थी. अब सरकार ने लोहरदगा और हजारीबाग में नया रैक प्वाइंट चिह्नित किया है. इसके अतिरिक्त रांची, जसीडीह, दुमका, कोडरमा व पलामू रैक प्वाइंट पर भी खाद उतारा जाता है. इससे संबंधित जिलों में कम समय और कम लागत में ढ़ुलाई हो सकेगी.

पंखिया सेम की खेती को बढ़ावा देगा बीएयू : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) नयी दिल्ली, देश भर के 12 शोध केंद्रों के माध्यम से फसलों के बहु-परीक्षण, आकलन एवं विस्तारीकरण का कार्यक्रम चला रहा है. इन फसलों में पंखिया सेम एक प्रमुख दलहनी सब्जी फसल है. जिसकी खेती प्रदेश के जनजातीय किसानों द्वारा कम अौर सीमित क्षेत्र में की जाती है. राज्य के खूंटी एवं देवघर जिले में यह फसल प्रचलित है. आइसीएआर के सौजन्य से बिरसा कृषि विवि (बीएयू) के आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग में फसलों पर नेटवर्क शोध परियोजना की स्वीकृति दी गयी है. इसके तहत चालू खरीफ मौसम में पंखिया सेम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.

बीज व जड़ तक खाया जाता है : बीएयू अंतर्गत राज्य के 16 जिलों में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके)के माध्यम से किसानों के खेत में पंखिया सेम का प्रत्यक्षण कराया जायेगा. परियोजना अन्वेषक डॉ जयलाल महतो ने बताया कि प्रत्येक केवीके को पंखिया सेम की खेती के विस्तारीकरण के लिए आठ-आठ किलो आरएमबी डब्लूबी-1 किस्म का बीज वितरित किया गया. केवीके द्वारा प्रत्येक जिले के करीब दो एकड़ भूमि में प्रत्यक्षण कराया जायेगा. ताकि जिला स्तर पर इस फसल का क्षेत्र विस्तार किया जा सके. डॉ महतो ने बताया कि पंखिया सेम एक ऐसी उत्कृष्ट प्रजाति का सेम है, जिसका फल, फूल, पत्ता, तना व बीज के साथ-साथ जड़ भी खाया जाता है.

Next Article

Exit mobile version