मौसम के सटीक पूर्वानुमान की व्यवस्था हो : डॉ राव
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में जुटे देश भर से मौसम वैज्ञानिक ग्रामीण कृषि मौसम सेवा की आठवीं समीक्षा बैठकवरीय संवाददाता, रांची बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में देश भर के मौसम वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. ग्रामीण कृषि मौसम सेवा की आठवीं समीक्षा बैठक में करीब 200 मौसम वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं. तीन दिनों तक ये मौसम पूर्वानुमान […]
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में जुटे देश भर से मौसम वैज्ञानिक ग्रामीण कृषि मौसम सेवा की आठवीं समीक्षा बैठकवरीय संवाददाता, रांची बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में देश भर के मौसम वैज्ञानिक जुटे हुए हैं. ग्रामीण कृषि मौसम सेवा की आठवीं समीक्षा बैठक में करीब 200 मौसम वैज्ञानिक हिस्सा ले रहे हैं. तीन दिनों तक ये मौसम पूर्वानुमान और किसानों को मिलनेवाली सलाह पर मंथन करेंगे. नये-नये आइडिया विकसित करेंगे. सोमवार को इसका उद्घाटन हुआ. इस मौके पर सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ड्राइलैंड एग्रीकल्चर तथा ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर डॉ वीयूएम राव ने कहा कि पहले मौसम के सटीक पूर्वानुमान की व्यवस्था होनी चाहिए. जब लोगों को मौसम का सटीक पूर्वानुमान मिलने लगेगा तो, उन्हें खुद सलाह मिल जायेगी. आज भी देश की कृषि मौसम पर निर्भर है. हमें मौसम पूर्वानुमान को किसानों के स्तर पर जाकर सोचना होगा. अब तो हरेक केवीके में एक मौसम वैज्ञानिक रखने की बात चल रही है. इसके लिए 240 पदों की स्वीकृति भी मिल गयी है. काफी सुधार हुआ है मौसम पूर्वानुमान में बीएयू के कुलपति डॉ जॉर्ज जॉन ने कहा कि मौसम पूर्वानुमान में काफी सुधार हुआ है. 2004 के सुनामी से हमें काफी नुकसान हुआ था. आज स्थिति बदल गयी है. उन्होंने कहा कि पूर्वानुमान के साथ वैल्यू एडिशन करने की जरूरत है. इस पर कैसे काम किया जा सकता है, विचार करना चाहिए. मूल्यांकन होना चाहिए : भानभारतीय मौसम विज्ञान विभाग नई दिल्ली के वैज्ञानिक एससी भान ने कहा कि ग्रामीण किसान मौसम सेवा के कार्यों का मूल्यांकन होना चाहिए. 2010 में मूल्यांकन के बाद अच्छे परिणाम आये थे. आज तकनीक में काफी बदलाव हुआ है. तकनीक के हिसाब से क्या परिवर्तन हो रहे हैं, यह देखना चाहिए. विदेशों में भी बढ़ी है साख : चट्टोपाध्याय भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र, पुणे के उप महानिदेशक डॉ एन चट्टोपाध्याय ने कहा कि हमारी मौसम सेवा काफी समृद्ध हुई है. यही कारण है कि कई तूफान को हमने हल्के नुकसान में झेल लिया. अब तो मौसम केंद्र कई विभागों से सीधे जुड़ गया है. प्रधानमंत्री कार्यालय भी समय-समय पर इसकी मॉनीटरिंग कर रहा है. हम विदेशों में भी अपनी सेवा दे रहे हैं. सार्क के कई देशों ने अपने यहां के पूर्वानुमान की जानकारी भारत से मांगी है. अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक अनुसंधान डॉ डीके सिंह द्रोण तथा धन्यवाद ज्ञापन कृषि भौतिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ ए बदूद ने किया. संचालन शशि ने किया.