राज्य की संस्कृति और अस्मिता को समेटे है राज्य संग्रहालय

फोटो…विमल देव…देंगेराहुल गुरु @ लाइफ रांचीस्थापना : वर्ष 1974झारखंड विविध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व कला संबंधी विरासत की दृष्टि से एक समृद्ध राज्य है. अपनी खनिज संपदा के कारण यह देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्धि प्राप्त किये हुए है. झारखंड ऐसा राज्य है, जहां विभिन्न तरह के 32 जनजातीय समूह निवास करते हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 10, 2014 11:02 PM

फोटो…विमल देव…देंगेराहुल गुरु @ लाइफ रांचीस्थापना : वर्ष 1974झारखंड विविध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व कला संबंधी विरासत की दृष्टि से एक समृद्ध राज्य है. अपनी खनिज संपदा के कारण यह देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्धि प्राप्त किये हुए है. झारखंड ऐसा राज्य है, जहां विभिन्न तरह के 32 जनजातीय समूह निवास करते हैं. इनमें आठ आदिम जनजातीय समूह हैं. इस राज्य का इतिहास सदियों पुराना है. यह विडंबना ही है कि राज्य की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक जानकारी से यहां के बहुत सारे लोग अवगत नहीं हैं. इतना कुछ होने के बाद भी, यहां के लोगों में राज्य से जुड़ी जानकारियों का अभाव है. राज्य की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व कला संबंधी जानकारियों को एक छत के नीचे मुहैया कराने के लिए कला, संस्कृति, खेल-कूद एवं युवा कार्य विभाग ने राज्य संग्रहालय का निर्माण किया है. इस संग्रहालय की स्थापना वर्ष 1974 में हुई थी. तब यह संग्रहालय मोरहाबादी स्थित जनजातीय शोध व कल्याण संस्थान में संचालित था. 10 सितंबर 2009 को इसे विस्तृत स्वरूप देते हुए इसकी स्थापना होटवार स्थित खेल गांव में की गयी. गैलरियों में उपलब्ध है जानकारीहोटवार स्थित राज्य संग्रहालय में जनजातीय गैलरी, प्रतिमा गैलरी, उत्खनित सामग्रियों की गैलरी के अलावा चित्रकला गैलरी के माध्यम से राज्य की संस्कृति और धरोहर को एक स्थान पर संग्रहित करने का काम किया गया है. यहां आदिम जातियों व उनकी संस्कृति के बारे विस्तार से बताया गया है. इसके अलावा झारखंड के विभिन्न स्थानों में की गयी खुदायी से प्राप्त सामग्रियों को भी प्रदर्शित किया गया है. राज्य के प्रमुख परंपरागत पेंटिंग्स से भी लोगों को अवगत कराने का प्रयास किया गया है.विभिन्न गैलरियों की विशेषताएंजनजातीय गैलरी : यह गैलरी झारखंडी जनजातीय सांस्कृतिक विविधता को समेटे हुए है. यहां 32 जनजातीय समूहों व 8 आदिम जनजातीय समूहों के रहन-सहन, उनके क्रिया-कलाप व संस्कृति के बारे विस्तार से बताया गया है. यहां असुर, बिरहोर, बिरजिया, कोरबा, माल-पहाडि़या, सौरिया-पहाडि़या, सबर और परहइया जनजातीयों के बारे में विभिन्न जानकारी उपलब्ध करायी गयी है. इस गैलरी में झारखंड के जननायकों के साथ-साथ जनजातीय वाद्य यंत्रों (नरसिंघा, भेंर, ढाक, नगाड़ा, ढोल), हथियारों (तीर-धनुष, भाला), आभूषणों (हार, कर्णफूल, चूड़ी) के अतिरिक्त ‘डोकरा कला’ (जनजातीय धातु शिल्प) व बांस शिल्प की सामग्रियां प्रदर्शित की गई हैं. प्रतिमा गैलरी इस गैलरी को देखने के बाद यह आसानी से समझा जा सकता है कि झारखंडी मूर्ति कला में विभिन्न धर्मों (हिंदू, बौद्ध, जैन) का सामंजस्य है. यहां लोक शैली, राज शैली की मूर्तियां प्रदर्शित के लिए रखी हुई हैं. यहां आप पूर्व मध्यकालीन मूर्तियों का देख सकते हैं. इनमें उमा-महेश्वर, पार्वती, गणेश, दशावतार, सूर्य, पंचमुखी ब्रह्मा के अलावा बुद्ध, पद्मपाणि के अलावा सहस्रबुद्ध की मूर्तियां रखी गयी हैं. वृषभनाथ, शांतिनाथ की प्रतिमाएं जैन धर्म की मूर्ति कला को प्रस्तुत करते हैं. यहां प्रदर्शित लोक शैली की प्रतिमाएं खूंटी व जपला से मिली हैं. उत्खनित सामग्रियों की गैलरी झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त पाषाण उपकरण, प्रागैतिहासिक काल से ही यहां मानव की उपस्थिति के साक्ष्य को प्रस्तुत करते हैं. संग्रहालय की इस गैलरी में 11 वीं से लेकर 18 वीं शताब्दी तक की उत्खनित सामग्रियों को देखा जा सकता है. इस गैलरी में झारखंड के विभिन्न स्थानों पर की गयी खुदाई से प्राप्त सामग्रियों को रखा गया है. गुहियापाल, रांची जिला के बेड़ो प्रखंड स्थित खुखरागढ़, पलामू जिला के सोन नदी के तट पर स्थित काबराकलां में की गयी खुदाई से प्राप्त सामग्रियां ऐतिहासिक महत्व की हैं. यहां लाह से बनी चूडि़यां, पत्थर के बने उपकरण, विभिन्न प्रकार की तस्तरियां, मिट्टी की मूर्ति, चमकीले बरतन प्रदर्शित किये गये हैं. चित्रकला गैलरी इस गैलरी में समकालीन व स्थानीय कलाकारों द्वारा कई विषयों पर बनाये गये कलात्मक चित्र उपलब्ध हंै. यहां झारखंड की परंपरागत कोहबर, सोहराइ कला देख सकते हैं. सोहराइ व कोहबर झारखंड की परंपरागत चित्रकला के उदाहरण हैं. राज्य में कम ही ऐसे कलाकार हैं, जो इस चित्रकला को अपनाये हैं. इस चित्रकला के प्रदर्शकों में हजारीबाग के बड़कागांव की पार्वती देवी व हजारीबाग के ही चरही की रहने वाली मालो देवी प्रमुख हैं.पुस्तकालय भी है खासराज्य संग्रहालय में पुस्तक प्रेमियों के लिए बेहतरीन पुस्तकालय भी है. जहां आप इतिहास, राजनीति, इतिहास की पुरानी पुस्तकों के अलावा अखबारों के संग्रह का लाभ ले सकते हैं. इसके अलावा ट्राइबल सोसाइटी ऑफ इंडिया, ट्राइबल लॉ सिस्टम, जनजातीय समाज, ट्राइबल डेवलपमेंट एंड सोशियो कल्चर मैट्रिक्स, ट्राइबल वोटिंग बिहेवियर व ट्राइबल डेवलपमेंट प्रोग्राम जैसी किताबें उपलब्ध हैं. इनके माध्यम से झारखंड को बेहतर तरीके से जाना जा सकता है. संग्रहालय : एक नजरराज्य संग्रहालय रांची जिला मुख्यालय से आठ किलो मीटर दूर मेगा स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, खेल गांव परिसर में स्थित है. संग्रहालय सप्ताह में छह दिन खुला रहता है. सोमवार को बंद रहता है. संग्रहालय में प्रवेश के लिए बतौर शुल्क बच्चे 10 वर्ष से कम उम्र के लिए 2 रुपये, विद्यार्थियों के लिए 3 रुपये, वयस्कों के लिए 5 रुपये स्टूडेंट ग्रुप के लिए 2 रुपये/स्टूडेंट व विदेशियों के लिए 100 रुपये लिये जाते हैं. संग्रहालय का भ्रमण सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक किया जा सकता है. ……………………..संग्रहालय में खास : शहादत की डालसंग्रहालय में कदंब के पेड़ की वह डाल प्रदर्शन के लिए रखी हुई है, जिस डाल पर 16 अप्रैल 1858 को ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को फांसी दी गयी थी. ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सिपाही विद्रोह के झारखंड में नेतृत्वकर्ता थे……………………………………..क्या कहते हैं अधीक्षकराज्य संग्रहालय के प्रमुख डॉ मो शरफउद्दीन ने बताया कि यह राज्य का गौरव है. यहां राज्य के इतिहास, अस्मिता और सांस्कृतिक विरासत को आसानी से समझा जा सकता है. यहां लोग आसानी से पहुंच सकते हैं. लोग यहां आना पसंद भी करते हैं. यहां लोग राज्य के गौरवशाली अतीत को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं.

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