समय समय पर संशोधन से एक्ट की मूल भावना खत्म : लक्ष्मी नारायण

भूमि अधिकार दिवस का आयोजनतसवीर राज वर्मा की हैसंवाददाता, रांची आदिवासी सरना धर्म समाज के तत्वावधान में मोरहाबादी स्थित सामुदायिक भवन में भूमि अधिकार दिवस का आयोजन हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत सामुदायिक भवन के बाहर स्थित सरना स्थल पर पाहनों द्वारा भूमि पूजन से हुई. मौके पर परिचर्चा का आयोजन हुआ, जिसका विषय था ‘सीएनटी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2014 11:02 PM

भूमि अधिकार दिवस का आयोजनतसवीर राज वर्मा की हैसंवाददाता, रांची आदिवासी सरना धर्म समाज के तत्वावधान में मोरहाबादी स्थित सामुदायिक भवन में भूमि अधिकार दिवस का आयोजन हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत सामुदायिक भवन के बाहर स्थित सरना स्थल पर पाहनों द्वारा भूमि पूजन से हुई. मौके पर परिचर्चा का आयोजन हुआ, जिसका विषय था ‘सीएनटी एक्ट के 106 वर्ष : संशोधनों से आदिवासी समाज ने क्या पाया और क्या खोया’. मौके पर लक्ष्मी नारायण मंुडा ने कहा कि आदिवासियों का संघर्ष जमीन की लूट रोकने, स्वायत्तता, पहचान, अस्तित्व को बचाने के लिए हुआ था. इसी संघर्ष का परिणाम था सीएनटी एक्ट. इस एक्ट में समय समय पर किये जाने वाले संशोधनों की वजह से एक्ट की मूल भावना खत्म हो रही है. हाल में टीएसी द्वारा आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री में थाना क्षेत्र की बंदिश खत्म करने का निर्णय लिया गया. अगर थाना क्षेत्र की बंदिश खत्म हो गयी तो इसका फायदा आदिवासी समाज के चंद पैसे वालों लोगों (नेता, अधिकारी) को होगा. जगलाल पाहन ने कहा कि एक्ट में संशोधन नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री में वृद्धि होगी. सुनील टोप्पो, संदीप उरांव सहित अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किये. तीन प्रस्ताव पारित हुएकार्यक्रम में तीन प्रस्ताव पारित किये गये. इनमें सीएनटी एक्ट को सख्ती से लागू करने, अब तक के संशोधनों के रद्द करने, टीएसी द्वारा 27 सितंबर को लिये संशोधन प्रस्ताव को रद्द करने तथा आदिवासियों की जमीन वापसी और बचाने के लिए विशेष अदालत का गठन करने की मांग शामिल है.

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