कांग्रेस नेताओं के घर कालाधन

ब्योरा नहीं देने पर आयकर ने लगाया जुर्माना बोले सिंघवी दीमक चट कर गये सारे दस्तावेज टैक्स चोरी का केस में घिरे कांग्रेस नेता भाजपा ने मांगा कांग्रेस से स्पष्टीकरण एजेंसियां, नयी दिल्लीइनकम टैक्स को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. इनकम टैक्स सेटलमेंट कमिशन (आइटीएससी) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 11, 2014 11:02 PM

ब्योरा नहीं देने पर आयकर ने लगाया जुर्माना बोले सिंघवी दीमक चट कर गये सारे दस्तावेज टैक्स चोरी का केस में घिरे कांग्रेस नेता भाजपा ने मांगा कांग्रेस से स्पष्टीकरण एजेंसियां, नयी दिल्लीइनकम टैक्स को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और मशहूर वकील अभिषेक मनु सिंघवी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. इनकम टैक्स सेटलमेंट कमिशन (आइटीएससी) ने पिछले तीन सालों की उनकी प्रोफेशनल इनकम 91.95 करोड़ रु पये जोड़ते हुए 56.67 करोड़ का जुर्माना लगाया है. हालांकि, इस फैसले पर उन्हें फिलहाल हाइकोर्ट से स्टे मिल गया है. इधर, भाजपा ने सिंघवी पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया है. आरोप लगाया कि सिंघवी ने अपने घर में भी बहुत सारा पैसा (काला धन) छिपा रखा है. सिंघवी का मामला सार्वजनिक हुआ बस एक उदाहरण भर है. कितने सारे कांग्रेसी नेता कालेधन को सफेद करने में लगे हैं? क्या कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सिंघवी मामले का स्पष्टीकरण देंगी. भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह क्लासिक मामला है. कांग्रेस कालेधन पर प्रवचन देती फिर रही है लेकिन उसके घर में यह हो रहा है. बताना चाहिए कि यह मामला सामने आने पर सिंघवी को पार्टी से निकालेगी या गले लगाये रखेगी. सिंघवी ने दिखाया है कि देश में किस तरह काला धन पैदा किया जा रहा है. हमारा प्रश्न है कि वो अपनी करीब 100 करोड़ रु पये की कमाई छिपा कर क्यों बैठे थे? आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग ही असली दीमक हैं, जो 60 सालों में देश को चाट गये. सिंघवी बोले-मुझे न्याय नहीं मिला उधर, सिंघवी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मैं वकील समुदाय में बीते 20 सालों में सबसे ज्यादा टैक्स जमा करने वाले लोगों में शामिल हूं. इस मामले में मुझे न्याय नहीं मिला. मैं तब खुद कमीशन गया था, जब दीमकों ने सभी दस्तावेज बरबाद कर दिये थे. कमीशन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मुझ पर जुर्माना लगाया है. यह अधिक खरचे का केस है, लेकिन विभाग यह मानने को तैयार नहीं है. मामले पर एक नजर अंगरेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी खबर के मुताबिक, सिंघवी ने आयकर और कमीशन के सामने दावा किया था कि उन्होंने अपने कर्मचारियों के लिए तीन वर्षों में पांच करोड़ के लैपटॉप खरीदे थे, इसलिए वह 30 प्रतिशत की रियायत के हकदार हैं. कमीशन ने अपनी जांच में पाया कि सिंघवी ने अपनी सहायता के लिए 14 वकीलों/प्रोफेशनल्स की टीम रखी है. वहीं, लैपटॉप पर पांच करोड़ खर्च करने के लिए उनके द्वारा 40 हजार की दर से तीन साल में 1250 लैपटॉप खरीदे जाने चाहिए थे. सिंघवी ने जो दावे किये, उसके पक्ष में वह दस्तावेज जमा नहीं करा पाये. कमीशन को बताया कि दिसंबर 2012 में उनके सीए के ऑफिस में दीमकों ने ‘हमला’ कर दिया था. वे सारे दस्तावेज और वाउचर खा गये. आयकर विभाग से जून में नोटिस मिलने के बाद सिंघवी ने 11 करोड़ रु पये की अघोषित आय का ब्योरा देने के साथ इसके लिए 3.26 करोड़ रु पये का टैक्स अदा किया. लेकिन विभाग घोषित 11 करोड़ से संतुष्ट नहीं हुआ और कहा कि सिंघवी ने 22.86 करोड़ रु पये का ब्योरा नहीं दिया, जिस पर सात करोड़ रु पये की टैक्स देनदारी बनती है. इसके बाद खर्चों के दस्तावेज न देने पर इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन (आइटीएससी) ने पिछले तीन सालों की उनकी प्रोफेशनल इनकम 91.95 करोड़ रु पये और जोड़ दी और 56.67 करोड़ का जुर्माना लगाया.

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