दो दशक में एक तिहाई कम होगा कार्बन उत्सर्जन
एपेक सम्मेलन. अमेरिका, चीन ने ऐतिहासिक जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों का किया एलानएजेंसियां, बीजिंगग्रीन हाउस गैसों का सर्वाधिक उत्सर्जन करनेवाले अमेरिका और चीन ने बुधवार को एक ‘ऐतिहासिक’ समझौते का एलान किया, जो अगले दो दशकों में उनके उत्सर्जन को एक तिहाई तक कम कर सकता है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तथा उनके अमेरिकी समकक्ष […]
एपेक सम्मेलन. अमेरिका, चीन ने ऐतिहासिक जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों का किया एलानएजेंसियां, बीजिंगग्रीन हाउस गैसों का सर्वाधिक उत्सर्जन करनेवाले अमेरिका और चीन ने बुधवार को एक ‘ऐतिहासिक’ समझौते का एलान किया, जो अगले दो दशकों में उनके उत्सर्जन को एक तिहाई तक कम कर सकता है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तथा उनके अमेरिकी समकक्ष बराक ओबामा द्वारा दो प्रमुख देशों के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए की गयी वार्ताओं के बीच इस समझौते का एलान किया गया. चीन में एपेक व्यापार शिखर बैठक की समाप्ति पर ओबामा ने राष्ट्रपति शी के साथ जलवायु परिवर्तन संबंधी समझौते की घोषणा की. इस समझौते के तहत अमेरिका 2005 के तय स्तर पर वर्ष 2025 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में 26 से 28 फीसदी की कटौती करेगा. चीन का कार्बन उत्सर्जन वर्ष 2030 तक बढ़ेगा. साथ ही वर्ष 2030 तक अपने गैर जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को 20 फीसदी तक बढ़ायेगा. यह समझौता अगले दो दशकों में दोनों देशों के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को एक तिहाई तक कम कर सकता है. यह समझौता मील का पत्थर होगा : ओबामाओबामा ने शी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, ऊर्जा उपभोक्ताओं और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जकों के नाते, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों की अगुवाई करने की हमारी विशेष जिम्मेदारी है. इस घोषणा से जलवायु परिवर्तन से निबटने में अन्य देश प्रेरित होंगे. हमें उम्मीद है कि इससे सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं भी महत्वाकांक्षी बनेंगी. सभी देश, विकसित और विकासशील, ताकि हम अगले साल एक मजबूत वैश्विक जलवायु समझौता संपन्न कर सकें. दोनों देशांें के उत्सर्जन लक्ष्यों के संबंध में संयुक्त घोषणा एक ‘ऐतिहासिक समझौता’ और अमेरिका चीन संबंधों में ‘मील का पत्थर’ है. त्र हम यह सुनिश्चित करने पर सहमत हुए कि पेरिस में अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन वार्ता किसी समझौते पर पहुंचेगी : जिनपिंगत्रअंतिम लक्ष्य 2050 तक 80 फीसदी कटौती करना है. ऐसा पहली बार हुआ है कि चीन ने अपने कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने पर सहमति जतायी है : व्हाइट हाउस