भारत के पहले परखनली शिशु रचयिता की जीवनी पर वृत्तचित्र

एजेंसियां, कोलकाताभारत के पहले और दुनिया के दूसरे परखनली शिशु के रचयिता डॉ सुभाष मुखर्जी के जीवन पर आधारित एक नये वृत्तचित्र का गुरुवार को यहां जारी ‘कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’ में प्रदर्शन किया गया.’इफेक्ट ऑफ इंडियन क्रैब सिंड्रोम’ शीर्षक से बने इस लघु वृत्तचित्र का निर्देशन सामाजिक कार्यकर्ता राजीव सरकार ने किया है. 16 मिनट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 13, 2014 11:03 PM

एजेंसियां, कोलकाताभारत के पहले और दुनिया के दूसरे परखनली शिशु के रचयिता डॉ सुभाष मुखर्जी के जीवन पर आधारित एक नये वृत्तचित्र का गुरुवार को यहां जारी ‘कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’ में प्रदर्शन किया गया.’इफेक्ट ऑफ इंडियन क्रैब सिंड्रोम’ शीर्षक से बने इस लघु वृत्तचित्र का निर्देशन सामाजिक कार्यकर्ता राजीव सरकार ने किया है. 16 मिनट लंबी इस फिल्म में मूल हस्तलिखित शोध प्रतिलिपि को भी दिखाया गया है जिसमें ‘इन विट्रो फर्टीलाइजेशन’ प्रणाली के प्रयोग से परखनली शिशु के जन्म की प्रक्रिया का विस्तार से उल्लेख किया गया है.महज 67 दिन बादडॉ मुखर्जी आइवीएफ तकनीक के प्रवर्तक थे. यह रिपोर्ट कोलकाता में तीन अक्तूबर 1978 को दुनिया की दूसरी परखनली शिशु ‘दुर्गा’ के जन्म का आधार बनी थी. इंग्लैंड में पहले परखनली शिशु के जन्म के महज 67 दिन बाद ही इस शिशु का जन्म हुआ था. लेकिन अपनेे शोध के खारिज किये जाने के बाद उन्होंने वर्ष 1981 में खुदकुशी कर ली थी.क्रैब सिंड्रोमसरकार ने बताया, न केवल उनके शोध को खारिज किया गया बल्कि चिकित्सा बिरादरी द्वारा उन्हें अपमानित भी किया गया. उनकी अभूतपूर्व उपलब्धि को स्वीकृति न देकर कुछ लोग उनसे द्वेष पाले हुए थे तो कुछ उन्हें नीचे गिराने की कोशिश में थे. यदि आप एक थैले में कुछ केकड़े (क्रैब) रखेंगे तो उनमें से कोई भी ऊपर नहीं आ पायेगा क्योंकि ये सभी एक दूसरे को नीचे खींचने की कोशिश में रहते हैं. इसलिए हम इसे ‘क्रैब सिंड्रोम’ कहते हैं.पत्नी नमिता का रिकॉर्डेड संदेशइतने सालों बाद वर्ष 2002 में जाकर कहीं भारतीय चिकित्सा शोध परिषद (आइसीएमआर) ने इस महान शख्सियत के प्रयास को स्वीकृति प्रदान की थी. फिल्म में डॉ मुखर्जी की पत्नी नमिता का रिकॉर्डेड संदेश भी है जिनकी कुछ ही दिनों पहले अकेलेपन से जूझते हुए मौत हो गयी थी. फिल्म में डॉ मुखर्जी की पत्नी ने इस संदेश में बताया है कि किस तरह से उन्होंने आर्थिक परेशानियों को झेला और सरकार की ओर से उन्हें कभी मदद भी नहीं मिली.

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