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डीयू लाइब्रेरी में में अब नेत्रहीनों के लिए होंगी बोलनेवाली किताबें

-यूनिवर्सिटी की ‘इक्वल अपोरर्चूनिटी सेल’ ने इस अपनी तरह की अनूठी परियोजना को मूर्त रूप -कई देशों से सॉफ्टवेयर आयात कर बनायी गयी मशीनें -यह चित्र और हाथ से लिखी सामग्री को पढ़ने में सक्षम नहीं होगी. एजेंसियां, नयी दिल्लीदिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) अपनी लाइब्रेरी में नेत्रहीनों के लिए ऐसी विशेष मशीनें लगाने जा रहा है, […]

-यूनिवर्सिटी की ‘इक्वल अपोरर्चूनिटी सेल’ ने इस अपनी तरह की अनूठी परियोजना को मूर्त रूप -कई देशों से सॉफ्टवेयर आयात कर बनायी गयी मशीनें -यह चित्र और हाथ से लिखी सामग्री को पढ़ने में सक्षम नहीं होगी. एजेंसियां, नयी दिल्लीदिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) अपनी लाइब्रेरी में नेत्रहीनों के लिए ऐसी विशेष मशीनें लगाने जा रहा है, जो बोलेंगी. यह नेत्रहीनों के लिए वरदान साबित होंगी, क्योंकि इनकी मदद से न सिर्फ उन्हें किताब में उल्लिखित सामग्री सुनने को मिलेगी, बल्कि वह उनसे नोट्स भी तैयार कर सकेंगे.डीयू भारत का पहली यूनिवर्सिटीडीयू देश की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी है जो इस तरह की सुविधा मुहैया कराने जा रहा है. नेत्रहीनों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ‘इंक्लूसिव प्रिंट एक्सेस प्रोजेक्ट’ तैयार किया गया है. दूसरे देशों से आयात किये गये कई साफ्टवेयरों के समन्वय से यूनिवर्सिटी के ‘इक्वल अपोरर्चूनिटी सेल’ ने इस अपनी तरह की अनूठी परियोजना को मूर्त रूप दिया है. कैसे काम करेंगी यह मशीनें तिवारी ने बताया,’नेत्रहीन छात्र ठीक उसी तरह से किताब पकड़ेंगे, जैसे सामान्य छात्र पकड़ते हैं. कैमरा और स्कैनर किताब में छपी सामग्री की छवि उतारकर उसे बोलने की तकनीक में बदल देगा. यह सॉफ्टवेयर किताब की स्कैनिंग, रीडिंग, उसे पीडीएफ में बदलने और अन्य कई कामों में माहिर है. छात्र विभिन्न हिस्सों को बुक मार्क कर सकेंगे. उनके लिए नोट्स बनाने की भी जगह होगी.’ इस प्रौद्योगिकी में केवल अंग्रेजी और हिंदी की सामग्री को बोल कर पढ़ा जा सकेगा. यह चित्र और हाथ से लिखी सामग्री को पढ़ने में सक्षम नहीं होगी. कोट”कई विश्वविद्यालयों ने नेत्रहीन छात्रों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न पहल कीं. किसी ने उनके लिए विशेष कमरे बनवाये तो किसी ने उनके लिए वाचक की व्यवस्था की, लेकिन उससे उनकी उतनी मदद नहीं हो पायी. हम उन्हें ठीक वैसा ही माहौल उपलब्ध कराना चाहते हैं, जैसा दूसरे छात्रों को हासिल है.’अनिल अंजेया, सीइओ, ‘इक्वल अपॉरर्चूनिटी सेल’ ”हम चाहते हैं कि पढ़ाई के लिए छात्र किसी के मोहताज न रहें. स्वतंत्र रूप से अपना कार्य कर सकें. विदेशों में कुछ विश्वविद्यालयों के पास यह तकनीक है, लेकिन भारत में हम पहले हैं जो छात्रों के लिए इसे मुहैया करानेवाले हैं. इस तकनीक में एक उच्च क्षमतावाला कैमरा ‘लेक्सएयर’ और एक स्कैनर लगाया गया है.विपिन तिवारी, अधिकारी, ‘इक्वल अपॉरर्चूनिटी सेल’

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