तब्बू ने विरोध कर लाया बदलाव

फोटो…फोल्डर..में तब्बू अफरोज..के नाम से है…छोटा मुरी की अफरोज को न्यूयॉर्क में मिला चेंजमेकर इंस्परेशनल अवार्ड, बाल विवाह के खिलाफ चला रही है मुहिमराहुल गुरु @ लाइफ रांचीचीन की एक कहावत है कि आपके विरोध करने से समाज के बड़े वर्ग की भलाई हो रही हो, तो विरोध करना चाहिए. कुछ ऐसे ही विचार के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2014 6:01 PM

फोटो…फोल्डर..में तब्बू अफरोज..के नाम से है…छोटा मुरी की अफरोज को न्यूयॉर्क में मिला चेंजमेकर इंस्परेशनल अवार्ड, बाल विवाह के खिलाफ चला रही है मुहिमराहुल गुरु @ लाइफ रांचीचीन की एक कहावत है कि आपके विरोध करने से समाज के बड़े वर्ग की भलाई हो रही हो, तो विरोध करना चाहिए. कुछ ऐसे ही विचार के साथ तब्बू अफरोज ने बाल विवाह के खिलाफ परिवार में आवाज उठायी. लंबे समय तक विरोध करने के बाद परिवार वालों ने भी उसकी बात मान ली. अब तब्बू का विरोध मुहिम का रूप ले चुका है. उसे मानवाधिकारों पर काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ब्रेक थ्रू ने न्यूयॉर्क में चेंजमेकर इंस्परेशनल अवार्ड से नवाजा है. तब्बू इस अवार्ड से नवाजी जानेवाली तीसरी भारतीय है. इससे पूर्व प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को यह अवार्ड दिया गया था. कौन है तब्बू अफरोज तब्बू अफरोज रांची से सटे छोटा मुरी के पहाड़ी टोला की रहने वाली है. चार बहन और एक भाई में दूसरे नंबर पर आने वाली 18 वर्षीय तब्बू फिलवक्त डोरंडा कॉलेज से इतिहास विषय के साथ स्नातक के प्रथम वर्ष में पढ़ाई कर रही है. पिता मो रमजान की छोटा मुरी में ही साइकिल रिपेयरिंग की दुकान है. क्या है तब्बू की कहानी बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने वाली तब्बू की कहानी शुरू होती है वर्ष 2012 से. तब उसकी उम्र 16 वर्ष थी. घर में तब्बू के अलावा तीन बहनें और थीं. पिताजी तब्बू की बड़ी बहन के साथ-साथ इसकी भी शादी करना चाह रहे थे. उस समय उसकी और बहन की उम्र 18 साल से कम थी. इसी दौरान उसके गांव में ब्रेक थ्रू वीडियो वेन के माध्यम से बाल विवाह को दूर करने संबंधी शॉर्ट फिल्म दिखा रही थी. इस शो को देखने तब्बू, उसकी बहनें और मां भी पहुंची थी. शो देखने के बाद वह काफी प्रभावित हुई. उसने घर जा कर अपने पिता के सामने बहन की शादी का विरोध किया. शुरुआत में, तो उसकी बात का काफी विरोध हुआ. इसके बाद तब्बू ने अपनी मां को इसके लिए राजी किया. मां ने फिर पति से बात की. आखिर में वह भी राजी हो गये. इसके बाद तब्बू ने अपनी बहनों की पढ़ाई भी सुनिश्चित करायी.कैसे मिला पुरस्कार ब्रेक थ्रू संस्था के ट्रेनिंग एंड कम्युनिटी मोबेलाइजेशन मैनेजर संजय कुमार सिंह बताते हैं कि हमारी संस्था विभिन्न प्रोजेक्ट के तहत मानवाधिकार विषयों पर काम करती है. इसी दौरान बाल विवाह पर काम करते हुए तब्बू से हमारी मुलाकात छोटा मुरी में हुई. इसके बाद कई मुलाकात हुई. तब्बू बाल विवाह पर अपना विचार खुल कर रख रही थी. इसके बाद हमने उसकी एक वीडियो बनायी. इस वीडियो को संस्था के इंडिया बोर्ड के सदस्यों ने देख कर प्रधान कार्यालय भेजा, जहां तब्बू को पुरस्कार के लिए चुना गया. न्यूयॉर्क में एक विशेष सम्मान समारोह में इसे चेंजमेकर इंस्परेशनल अवार्ड से नवाजा गया.पिता को गर्व तब्बू केे पिता बातचीत के दौरान बताते हैैं कि मेरे ऊपर सामाजिक दबाव काफी था. इस वजह से बेटियों की शादी करना चाह रहा था, लेकिन अब बेटी के हौसले और उसके मुकाम को देख कर गर्व महसूस करता हूं. अब तो मैं हर शुक्रवार नमाज के बाद लोगों को जागरूक करने का काम भी करता हूं. वहीं तब्बू का कहना है कि मैं हर मां-बाप से कहना चाहती हूं कि वे अपनी बेटियों को पढ़ायें. उन्हें आगे बढ़ने का मौका दें. बेटियां भी बेहतर करती हंै. उन्हें बोझ न समझें. शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले न करें.

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