कोने में तीन साल (चित्रपट)

15 नवंबर को मैंने मुंबई में पांच साल पूरे किये और आज इस स्तंभ को लिखते हुए मुझे तीन साल पूरे हुए. यह स्तंभ अब जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. 300 शब्दों में ही सही, लेकिन अभिव्यक्ति की जो स्वतंत्रता इस कोने में मिलती है वह शायद कहीं और नहीं. यह कोना मेरे लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2014 3:02 PM

15 नवंबर को मैंने मुंबई में पांच साल पूरे किये और आज इस स्तंभ को लिखते हुए मुझे तीन साल पूरे हुए. यह स्तंभ अब जिंदगी का हिस्सा बन चुका है. 300 शब्दों में ही सही, लेकिन अभिव्यक्ति की जो स्वतंत्रता इस कोने में मिलती है वह शायद कहीं और नहीं. यह कोना मेरे लिए ठीक उसी बच्चे की तरह है, जो धमाचौकड़ी मचाता हुआ भी जब इत्मिनान से एकांत में एक कोने में जा दुबकता है तो अपनी क्षमता के आधार पर ही कोशिश करता है कि कुछ अलग सा आविष्कार करे. फिल्म पत्रकारिता करते हुए मेरी भी यही कोशिश रही है कि इस कोने में अपनी ईमानदारी बरकरार रखूं. यह हकीकत है कि फिल्म पत्रकारिता है तो अफवाहों का साथ नहीं छूट सकता. पाठकों को उन अफवाहों में दिलचस्पी भी है. लेकिन इस कोने के माध्यम से उन्हीं अफवाहों को एक अलग नजरिया देने की कोशिश रही है. उद्देश्य कभी लाग-लपेट का नहीं रहा. बस कोशिश रही है कि आम खबरों के बीच ही कुछ हिस्सा फिल्मी दुनिया का जो किसी रूप में अनछुआ सा है, आप तक पहुंचे. यह स्तंभ प्रभात खबर में भी आखिरी पन्ने पर कोने में ही प्रकाशित होता है. कई खबरों के बीच दुबका सा, ढंका सा. लेकिन इस कोने के फर्श की चमक को बरकरार रखने की इच्छा तब और जागृत होती है, जब किसी पाठक द्वारा इस कोने के किसी आलेख पर अपनी सकारात्मक या नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है. फिर हकीकत में यूं दुबकना भी ताकतवर बना देता है. शुक्रिया प्रभात खबर मुझे 300 शब्दों की एक नायाब जिंदगी देने के लिए. फिलवक्त इस कोने में पहंुचने तक सलमान खान की बहन अर्पिता की शादी संपन्न होनेवाली है, लेकिन फिल्मी दुनिया में अभी कुछ दिनों तक यह हलचल बरकरार रहेगी. चूंकि करन अर्जुन आखिरकार एक हुए हैं, उन्हीं हलचल, अफवाहों व ग्लैमर के बीच चाइनीज बल्ब की तरह चमकने की कोशिश जारी रहेगी.अर्पिता के भाइयों ने अर्पिता के पसंदीदा गानों पर डांस परफॉरमेंस किया.

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