केयर्न मुद्दे पर कानून मंत्रालय का सरकार को सलाह

बढ़ सकती है लाइसेंस की अवधिवित्तीय शर्तों में बदलाव पर कर सकती है बाततेल परियोजना में हिस्सेदारी बढ़ाने का मामलाएजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्र सरकार केयर्न इंडिया के राजस्थान तेल क्षेत्र के की वित्तीय शर्तों में चाहते तो बदलाव कर सकती है. कानून मंत्रालय की राय है कि कंपनी के साथ अनुबंध की अवधि बढ़ाने के मामले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 19, 2014 7:02 PM

बढ़ सकती है लाइसेंस की अवधिवित्तीय शर्तों में बदलाव पर कर सकती है बाततेल परियोजना में हिस्सेदारी बढ़ाने का मामलाएजेंसियां, नयी दिल्लीकेंद्र सरकार केयर्न इंडिया के राजस्थान तेल क्षेत्र के की वित्तीय शर्तों में चाहते तो बदलाव कर सकती है. कानून मंत्रालय की राय है कि कंपनी के साथ अनुबंध की अवधि बढ़ाने के मामले में उसके साथ वित्तीय शर्तों पर फिर से विचार किया जा सकता है. इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सरकार केयर्न की इस परियोजना के तेल में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर विचार कर सकती है. इसकी मौजूदा अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत है. साथ ही इस परियोजना क्षेत्र की लाइसेंस धारक सार्वजनिक कंपनी ओएनजीसी को इसमें अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की मंजूरी देने पर भी विचार किया जा सकता है. राजस्थान के तेल ब्लॉक आरजे-ओएन-90-2 से तेल उत्खनन और उत्पादन के वर्तमान अनुबंध की मियाद 2020 में खत्म हो रही है. केयर्न ने लाइसेंस की अवधि 10 साल बढ़ाने के लिए आवेदन किया है और कहा है कि इस क्षेत्र में प्राकृतिक गैस के उत्पादन की भी उल्लेखनीय संभावना है. सूत्र ने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय के पत्र पर सलाह देते हुए कानून मंत्रालय ने कहा कि अनुबंध का विस्तार तभी किया जा सकता है, जबकि अनुबंध के सभी पक्ष सरकार, ओएनजीसी और केयर्न शर्तों पर आपस में सहमत हों. कानून मंत्रालय ने कहा कि राजस्थान क्षेत्र के लिए उत्पादन भागीदारी समझौते (पीएसी) में स्पष्ट है कि अनुबंध का विस्तार इसकी शर्तांे पर आपसी सहमति के आधार पर किया जा सकता है.नयी सहमति के संकेतमंत्रालय का मानना है कि ‘आपसी सहमति’ की बात से स्पष्ट तौर पर एक नयी सहमति का संकेत मिलता है, जिसका अर्थ है कि सभी पक्षों को वित्तीय शर्तों समेत अनुबंध की शतार्ें पर फिर से विचार-विमर्श करने का अधिकार है. कानून मंत्रालय कहा कि इस तरह संबद्ध मंत्रालय लाइसेंस की अवधि बढ़ाने से पहले भारत सरकार के हित में शतार्ें पर विचार-विमर्श कर सकता है और ऐसा लगता है कि इस संबंध में कोई कानूनी अड़चन नहीं है. अनुबंध की अवधि बढ़ाने का मामला, कानून मंत्रालय ने पेट्रोलियम मंत्रालय पर छोड़ दिया है कि वह जमीनी हकीकत के आधार पर इस पर फैसला करे.सॉलिसिटर जेनरल के पास भेजा उत्पादन भागीदारी समझौते के मुताबिक तेल क्षेत्र के मामले में अनुबंध पांच साल के लिए और गैस उत्पादन के मामले में 10 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्रालय ने अपनी टिप्पणियों के साथ इस मामले को सॉलिसिटर जेनरल के पास राय देने के लिए भेज दिया है. केयर्न की राजस्थान परियोजना में क्षेत्र में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है, वह अनिल अग्रवाल समूह की कंपनी केयर्न को अनुबंध की अवधि समाप्त होन के बाद परिचालन जारी रखने की अनुमति देने के संबंध में अपनी शर्त के तौर पर इस बात पर जोर डाल सकती है कि उसकी भागीदारी बढाकर 50 प्रतिशत की जाये. मौजूदा अनुबंध के मुताबिक 2020 में समय सीमा खत्म होने के बाद कंपनी को राजस्थान क्षेत्र को ओएनजीसी को वापस करना होगा.

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