व्यक्तिगत अनुभव से मौलिक कुछ भी नहीं : पीके पिंचा

प्रसन्न कुमार पिंचा ने कहा कि हर बच्चे में कुछ न कुछ विशेषता होती है. ये विशेषताएं उन्हें जन्म के साथ ही मिलती हैं, लेकिन कई बार उन्हें तराशने की आवश्यकता होती है. कुछ बच्चों में इसके लिए विशेष रूप से मेहनत करनी होती है. उनके पीछे उनके अनुसार काम करने की जरूरत होती है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2014 3:17 PM

प्रसन्न कुमार पिंचा ने कहा कि हर बच्चे में कुछ न कुछ विशेषता होती है. ये विशेषताएं उन्हें जन्म के साथ ही मिलती हैं, लेकिन कई बार उन्हें तराशने की आवश्यकता होती है. कुछ बच्चों में इसके लिए विशेष रूप से मेहनत करनी होती है. उनके पीछे उनके अनुसार काम करने की जरूरत होती है. ऐसे बच्चे बौद्धिक व विकासात्मक रूप से कमजोर होते हैं. लेकिन इन्हें कैसे आम बच्चों की तरह बनाना है, इसके लिए उनके पैरेंट्स से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है. कहा भी जाता है कि व्यक्तिगत अनुभव से मौलिक कुछ नहीं होता. इसके बावजूद इनके लिए सरकार को भी काम करने की आवश्यकता है……………………………………..डॉ प्रो रजीउद्दीन (प्रो वीसी रांची विवि) ने कहा कि बौद्धिक व विकासात्मक रूप से कमजोर बच्चों के लिए हमें विशेष रूप से काम करने की जरूरत है. ये ऐसे बच्चे होते हैं, जिन्हें मौका मिले तो आम बच्चों की तरह ही प्रदर्शन कर सकते हैं. आज हमारे साथ ऐसे ही कई बच्चे हैं, जिन्होंने उदाहरण पेश किया है. हमें इनके अधिकार की बात भी करनी होगी. ऐसे बच्चों के पैरेंट्स से हमें सीखने की जरूरत है. एक पैरेंट्स के लिए इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि वे मानते हैं कि मेरा बच्चा आम बच्चों की तरह नहीं है, लेकिन अपनी मेहनत के बल पर, अपने प्यार से उसे आम बच्चे की तरह बना सकते हैं.

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