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झारखंड विधानसभा में पास हुआ बिल: 1932 और उसके पहले के खतियानी को ही राज्य में थर्ड व फोर्थ ग्रेड की नौकरी

झारखंड में खतियान आधाारित स्थानीय नीति को अब नियोजन से जोड़ दिया गया है. झारखंड में 1932 या उसके पूर्व की खतियानी पहचान वाले झारखंडियों को ही राज्य में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी मिल पायेगी.

By Prabhat Khabar News Desk | November 12, 2022 6:24 AM

झारखंड में खतियान आधाारित स्थानीय नीति को अब नियोजन से जोड़ दिया गया है. झारखंड में 1932 या उसके पूर्व की खतियानी पहचान वाले झारखंडियों को ही राज्य में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरी मिल पायेगी. शुक्रवार को विधानसभा के विशेष सत्र में सरकार ने झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा तय करनेवाला बिल (परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए अधिनियम-2022) पारित किया.

सरकार ने सदन की कार्यवाही के दौरान ही यह प्रावधान जोड़ा कि जो स्थानीय होंगे, वे ही थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी के लिए पात्र होंगे. इसके साथ ही विधानसभा में आरक्षण संशोधन बिल पारित कर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण सहित अन्य वर्गों के कोटे को बढ़ाया गया है. दोनों ही विधेयक संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद लागू होंगे. शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दोनों ही विधेयक सदन में रखे. विपक्ष के सदस्यों ने संशोधन का भी प्रस्ताव दिया. विधायक अमित यादव, डॉ लंबोदर महतो, माले विधायक विनोद सिंह और रामचंद्र चंद्रवंशी ने स्थानीय नीति व आरक्षण विधेयक पर अपना संशोधन प्रस्ताव दिया.

माले विधायक विनोद सिंह ने स्थानीयता को परिभाषित करने संबंधी विधेयक की कंडिका-5 में संशोधन की मांग करते हुए इसे नियोजन से जोड़ने की मांग की. सरकार ने सदन की कार्यवाही के दौरान ही इसके अनुरूप एक प्रावधान अलग से जोड़ते हुए इसे मान लिया. मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने बिल के प्रावधान की कंडिका 6-क में जोड़ते हुए कहा : इस अधिनियम के तहत पहचाने गये स्थानीय लोग ही राज्य सरकार के वर्ग तीन और चार के पदों पर नियुक्ति के लिए पात्र होंगे.

संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित होने के बाद ही इसे राज्य में लागू किया जा सकेगा

विनोद सिंह के संशोधन प्रस्ताव के अनुरूप सरकार ने स्थानीयता को सरकारी नियोजन से जोड़ा

क्या है स्थानीयता संबंधी विधेयक में

1. इसका विस्तार पूरे झारखंड में होगा, झारखंड में रहनेवाले या उसके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के सर्वेक्षण-खतियान में दर्ज है, तो वह स्थानीय माना जायेगा

2. जो व्यक्ति या उनके पूर्वज 1932 या उसके पूर्व से झारखंड में रह रहे हैं, लेकिन खतियान अनुपलब्ध रहने या पठनीय नहीं होने के कारण या जमीन के कागजात नहीं दिखा पा रहे हों, तो वैसे लोगों की पहचान ग्रामसभा करेगी. भूमिहीन व्यक्तियों के मामले में भी ग्रामसभा पहचान करेगी.

3. स्थानीय व्यक्ति को राज्य में व्यापार और वाणिज्य के लिए विशेष रूप अधिमान्य अधिकार होगा. इस अधिनियम के तहत स्थानीय व्यक्ति ही थर्ड व फोर्थ ग्रेड में नियुक्ति के पात्र होंगे

अब आगे क्या

सामान्य प्रक्रिया के तहत दोनों ही विधेयक राज्यपाल के पास भेजे जायेंगे

विधेयक में ही इसे नौवीं सूची में शामिल करने के बाद इसे लागू करने का प्रावधान जोड़ा गया है. यह केंद्र सरकार को करना है.

राज्यपाल दाेनों ही विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजेंगे, इसके बाद केंद्र सरकार की भूमिका होगी.

राज्यपाल पर निर्भर करता है कि वह कब राष्ट्रपति को भेजें अथवा न भेजें. राज्यपाल के पास इसकी प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा की बाध्यता नहीं है.

नयी आरक्षण नीति में किसका कितना कोटा

28%

एसटी

12%

एससी

15%

पिछड़ा वर्ग1

12%

पिछड़ा वर्ग 2

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