रांची: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने कल कैबिनेट की बैठक में 1932 खतियान के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इसके मुताबिक 1932 वाले लोग ही अब झारखंडी कहलाएंगे. लेकिन क्या आपको पता है वर्ष 2014 में भी मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन ने स्थानीयता का ड्राफ्ट तैयार कराया था. ड्राफ्ट कमेटी का संयोजक राजेंद्र प्रसाद सिंह को बनाया गया था. श्री सिंह उस वक्त सरकार में मंत्री थे. कमेटी में मंत्री चंपई सोरेन, गीताश्री उरांव, सुरेश पासवान, बंधु तिर्की, लोबिन हेंब्रम व सरफराज अहमद, संजय सिंह यादव व विद्युत वरण महतो को रखा गया था.
कमेटी की कई बैठकें भी हुई थीं. इसमें ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया गया था. मूलवासी व झारखंड का स्थानीयता तय करने का प्रयास किया गया था. कमेटी ने अनुशंसा की थी कि तृतीय व चतुर्थ वर्ग की नौकरियों को जिलावार किया जाये. स्थानीयता के लिए कट ऑफ डेट तय करने का प्रयास किया था, लेकिन, सहमति नहीं बन पायी थी. कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी. उस वक्त श्री सोरेन ने खाका खींचने की कोशिश की थी.
झारखंड की भौगोलिक सीमा में निवास करनेवाले वैसे सभी व्यक्ति जिनका स्वयं या पूर्वज के नाम गत सर्वे खतियान में दर्ज हों और वैसे मूल निवासी जो भूमिहीन हैं उनके संबंध में भी उनकी प्रचलित भाषा, संस्कृति व परंपरा के आधार पर ग्राम सभा की ओर से पहचान किये जाने पर स्थानीय कहलायेंगे.
झारखंड के वैसे निवासी जो व्यापार नियोजन या अन्य कारणों से झारखंड में पिछले 30 साल या उससे अधिक समय से निवास करते हों और अचल संपत्ति अर्जित किया हो. ऐसे व्यक्ति की पत्नी/पति/संतान भी.
झारखंड सरकार की ओर से संचालित या मान्यता प्राप्त संस्थानों/निगमों आदि में नियुक्त और कार्यरत पदाधिकारी या कर्मचारी या उनकी पत्नी/पति/संतान.
भारत सरकार के पदाधिकारी या कर्मचारी जो झारखंड में कार्यरत हों, या उनकी उनकी पत्नी/पति/संतान.
झारखंड में किसी संवैधानिक या विधिक पदों पर नियुक्त व्यक्ति या उनकी पत्नी/पति/संतान.
जिनका जन्म झारखंड में हुआ हो और जिन्होंने अपनी मैट्रिक या समकक्ष स्तर की पूरी शिक्षा झारखंड के मान्यता प्राप्त संस्थान से पूरी की हो.
प्रदेश राजद ने 1932 के खतियान को स्थानीय नीति का आधार बनाने व ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले का समर्थन किया है. कार्यकारी अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने कहा कि पार्टी सरकार में सहयोगी है. ऐसे में पार्टी सरकार के फैसले का स्वागत करती है. ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलाने की मांग पार्टी पहले से कर रही थी. अब यहां के दलित, पिछड़ों व वंचित समुदाय के लोगों को हक व अधिकार मिलेगा.
1932 आधारित स्थानीयता कानून का वामदलों ने स्वागत है. भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त और विधायक विनोद सिंह ने कहा कि संबंधित विधेयकों को विधानसभा में पेश कर पारित करने के साथ ही भारत सरकार से भी जल्द सहमति ली जाये.
भाकपा के जिला सचिव अजय सिंह ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के आंदोलन के बाद 1908 में सीएनटी एक्ट बना था. इस फैसले से यहां के मूल निवासियों को जरूर फायदा मिलेगा.
माकपा ने इसे जल्दीबाजी में लिया गया फैसला बताया. पार्टी के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि समस्त झारखंड की जनता को विश्वास में लेकर स्थानीयता नीति को परिभाषित किया जाना चाहिए. 1932 का खतियान ही एकमात्र आधार नहीं हो सकता. 2002 में झारखंड हाइकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इसे खारिज कर दिया था. किसी दल या संगठन ने इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में मूव नहीं किया.