पेयजल-स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में पहुंचे. प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मंत्री श्री ठाकुर ने 1932 के खतियान से लेकर भाषा विवाद तक पर खुल कर अपनी बातें रखीं. उन्होंने दो टूक कहा : मेरा परिवार 72 वर्षों से रह रहा, पर मूल बिहार में है. यहां के मूलवासी के अधिकार के बारे में सोचना होगा. उनके बलिदान के बारे में सोचना होगा. मंत्री ने विभागीय कामकाज का पूरा ब्योरा दिया. साथ ही भावी कार्ययोजना भी बतायी.
मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने प्रभात संवाद कार्यक्रम में कहा कि बड़ी अग्निपरीक्षा के बाद आज यहां पर पहुंचा हूं. दो बार चुनाव हारा और तीसरी बार में जीत हासिल हुई. क्षेत्र की जनता ने काफी अनुभवी बनाया. इसका फायदा आज दिख रहा है. सरकार के किचन कैबिनेट के बारे में मुझे पता नहीं. लेकिन, कैबिनेट का सदस्य हूं. पूरी आस्था और समर्पण भावना के साथ किसी भी काम में जुड़ता हूं. विषम परिस्थिति में सारे काम छोड़ कर जरूरी काम में लगता हूं.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को भेजा गया समन पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है. यह लोकतंत्र के लिए कहीं से भी अच्छा संदेश नहीं है. मुख्यमंत्री को 12 घंटे में उपस्थित होने का समय दिया जाता है. देश के इतिहास में शायद ही पहले कभी ऐसा हुआ होगा. उनकी लोकप्रियता को धक्का पहुंचाया जा रहा है. सीबीआइ ने भी लालू यादव के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए आवास पर पूछताछ के लिए समय मांगा था. उनसे 10 घंटे पूछताछ हुई थी. इडी की पूछताछ से मुख्यमंत्री कभी पीछे नहीं हटनेवाले हैं.
पर जिस तरह की कार्रवाई हो रही है, उसमें निष्पक्षता नहीं दिख रही है. आखिर पूछताछ के लिए पिछली सरकार के जिम्मेदारों को क्यों नहीं बुलाया जा रहा है? भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से पहले उन्हें अपने दामन में झांकना चाहिए. अपने विवादित बयान के सवाल पर उन्होंने सफाई दी, कहा : हर बातों का शाब्दिक अर्थ होता है. टांग अड़ाने की बात यानी जो भी विकास में बाधा बन रहे हैं, वैसी ताकतों को रोकना है. बंधु तिर्की की बात भी इसी अर्थ में है. इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं है.
100 से भी अधिक प्रतिशत है, तो मैं उतना खुश हूं. 22 वर्षों के बाद झारखंड के मूलवासी, आदिवासी, खतियानी को उनकी पहचान मिलने जा रही है. इसे लेकर किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए. मैं खुद बिहार का खतियानी हूं. झारखंड के प्रति मैं पूरी तरह से समर्पित हूं. जिसका जो हक है, सरकार उसे दिलायेगी. पलामू के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 1914 से 1918 में ही पलामू का सर्वे हो गया है. पलामू प्रमंडल के लोग काफी खुश हैं. सभी को इसका लाभ मिलेगा. ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के आरोप पर कहा कि मेरे ऊपर भी जो आरोप लगे हैं, वे पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित हैं. इसमें सच्चाई नहीं है. एक अप्रैल, 2019 में ही सत्यम बिल्डर्स से इस्तीफा दे दिया था. सब कुछ कागज में है.
भाषा के मुद्दे पर कहा कि भोजपुरी बोलने में कहां मनाही है. लेकिन, जहां तक थर्ड व फोर्थ ग्रेड पद पर नियुक्ति का मामला है, तो इसमें मूलवासी का हक होना भी चाहिए. यदि ऐसा नहीं होगा, तो झारखंड राज्य के गठन का उद्देश्य क्या रह जायेगा? अलग राज्य गठन के लिए यहां के मूलवासियों ने जो त्याग बलिदान किया, उसके लिए उन्हें उनका वाजिब हक मिलना ही चाहिए. पूर्व की सरकार ने जो बहाली की, उसमें इन पदों पर दूसरे राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग अधिक आ गये. ऐसे में मूलवासियों का कैसे भला होगा. उन्होंने कहा कि गुरुजी के नेतृत्व में अलग राज्य गठन की लड़ाई लड़ी गयी. अलग राज्य बना. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्य को गढ़ने का काम किया जा रहा है.
पलामू-गढ़वा के लिए सोन नदी का पानी लिफ्ट कर पहुंचाने के लिए 1500 करोड़ की योजना पर काम चल रहा है. पलामू प्रमंडल में खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सरकार गंभीर है.
भोजपुरी सीना तान के बोलीं. घबराये के नइखे, भोजपुरी बोलीं, भोजपुरी रहीं. ई राज में सबके सम्मान मिलऽता, लेकिन मूलवासी के बारे सोचे के पड़ी, थर्ड-फोर्थ ग्रेड के नौकरी पर मूलवासी के हकदार रहे दीं.
22 साल के बाद झारखंड के मूलवासी, आदिवासी, खतियानी को उनकी पहचान मिलने जा रही है. 1914 से 1918 में ही पलामू का सर्वे हो गया है. पलामू प्रमंडल के लोग काफी खुश हैं. सभी को इसका लाभ मिलेगा.
मुख्यमंत्री को भेजा गया समन राजनीति से प्रेरित, लेकिन वे इडी की पूछताछ से पीछे हटनेवाले नहीं. हम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगानेवालों को पहले अपने दामन में झांकना चाहिए.