जागो, तभी झारखंड बनेगा पानीदार

रांची: आप अच्छे इंजीनियर हैं, पर धरती के अंदर का डायनेमिक्स नहीं मालूम, तो ऊपर के कार्य का कोई फायदा नहीं है. अभी देखा जा रहा है कि इंजीनियर व वैज्ञानिक अलग-अलग काम कर रहे हैं. दोनों एक साथ बैठें व जल समस्या पर बात करें, तभी काम बेहतर होगा. अगर झारखंड को पानीदार बनाना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:53 PM

रांची: आप अच्छे इंजीनियर हैं, पर धरती के अंदर का डायनेमिक्स नहीं मालूम, तो ऊपर के कार्य का कोई फायदा नहीं है. अभी देखा जा रहा है कि इंजीनियर व वैज्ञानिक अलग-अलग काम कर रहे हैं. दोनों एक साथ बैठें व जल समस्या पर बात करें, तभी काम बेहतर होगा. अगर झारखंड को पानीदार बनाना है, तो सबको जागरूक होना होगा.

उक्त बातें बुधवार को जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने होटल बीएनआर में जल उपलब्धता से संबंधित कार्यशाला में कही. श्री सिंह ने झारखंड में जल संरक्षण की चेतना के लिए यात्र निकालने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों और आम लोगों को पानी के मुद्दे पर जागरूक करने के लिए वह खुद इस यात्र में शरीक होंगे.

प्रकृति व जल के दोहन पर झारखंड की स्थिति उत्तराखंड की तरह है. झारखंड में भूगर्भ जल को रिचार्ज करने के लिए जियोलॉजिकल मैपिंग नहीं होना दुखद है. राजेंद्र सिंह ने कहा कि नरेगा के तहत जल छाजन की योजनाएं ज्यादा से ज्यादा पूरी की जायें. उन्होंने झारखंड के फसल चक्र को वर्षा चक्र से अलग बताया. जैसे पानी की कमी वाले इलाके में दलहन की खेती खूब होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा.

पंचायतों में लागू होंगे कार्यक्रम राज्यपाल के सलाहकार मधुकर गुप्ता ने बताया कि सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तहत संभावनावाली वैसी पंचायतों का पता लगा रही है, जहां जल संरक्षण के कार्यक्रम लागू किये जा सके. नरेगा के मापदंडों को बिना बदले वाटर शेड के ज्यादा से ज्यादा कार्यक्रम लेने का विचार है. 15 एनजीओ को इसकी रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा दिया गया है.

लोग मानते हैं, यह उनका काम नहीं
मुख्य सचिव आरएस शर्मा ने कहा कि विभागों में आपसी समन्वयन की कमी से जल उपलब्धता सहित कई कार्यक्रमों में बाधा आती है. लोग मानते हैं कि जल छाजन व भूगर्भ जल स्तर में वृद्धि उनका काम नहीं है.

हरमू नदी पर दो-तीन चेक डैम बने : सुधीर प्रसाद
जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष सतपथी ने कहा कि भूगर्भ जल बगैर रिचार्ज किये इसका भरपूर दोहन कर रहे हैं. पेयजल व स्वच्छता विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद ने भी विभिन्न विभागों के बीच समन्वय बढ़ाने की बात कही.

उन्होंने बताया कि रांची के विभिन्न डैम की क्षमता कैचमेंट एरिया भरने के कारण लगभग आधी रह गयी है. श्री प्रसाद ने कहा कि हरमू नदी पर दो-तीन चेक डैम बनाने से फायदा होगा. सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने भी अपनी बातें कही. इससे पहले जल संसाधन विभाग के विशेष सचिव बीसी निगम ने सबका औपचारिक स्वागत किया. बाद में दो तकनीकी सत्र का भी आयोजन हुआ. इस अवसर पर जल मुद्दे से जुड़े विभिन्न विभागों, गैर सरकारी संस्थाओं व शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे.

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