एक सज्जन बड़ी तमन्ना से प्रवासी पार्टी के अध्यक्ष बने. पहले लालटेन लेकर चल रहे थे. पुरानी पार्टी से मन फट गया. खराब दिन आये, तो पार्टी ने साथ नहीं दिया था. अब साइकिल की सवारी शुरू की. पूरे झारखंड में हांफ रहे हैं. परेशान हैं. कई जगह प्रत्याशी भी खोजा. प्रवासी पार्टी ने पीठ भी थपथपायी थी, लेकिन चुनाव के समय साथ नहीं मिल रहा है. एक प्रत्याशी ने तो जनाब के साथ शाम को प्रेस कांफ्रेंस कर चुनाव लड़ने पर हामी भरी. प्रवासी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने गंगा पार अपने पार्टी के नेताओं से सहमति भी ले ली, लेकिन दूसरे दिन सुबह प्रत्याशी दूसरी जगह चले गये. बेचारे अध्यक्ष अकेले पड़ गये. फिर धोखा खा गये. अब तो प्रत्याशी ही टेंशन कर रहे हैं. पार्टी का सहयोग मिल नहीं रहा है. खरचा-पानी पर भी आफत है. अब जनाब खुद कहते हैं : बड़ी मुसीबत है भाई….
बड़े तमन्ना से प्रवासी पार्टी के अध्यक्ष बने (कानाफूसी)
एक सज्जन बड़ी तमन्ना से प्रवासी पार्टी के अध्यक्ष बने. पहले लालटेन लेकर चल रहे थे. पुरानी पार्टी से मन फट गया. खराब दिन आये, तो पार्टी ने साथ नहीं दिया था. अब साइकिल की सवारी शुरू की. पूरे झारखंड में हांफ रहे हैं. परेशान हैं. कई जगह प्रत्याशी भी खोजा. प्रवासी पार्टी ने पीठ […]
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