रांची: कोडरमा के दौलत साव को अदालत ने एक साल की सजा सुनायी थी, पर धनबाद के जेल अधीक्षक की गलती से वह 23 माह तक जेल में रहा. मामला धनबाद धनबाद थाना कांड संख्या 881/2007 से संबंधित है.
धनबाद थाने में दौलत साव के खिलाफ आइपीसी की धारा 224 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. कानूनी काम में बाधा पहुंचाने के आरोप में पुलिस ने उसे पकड़ कर 13 मार्च 2008 को जेल भेज दिया. वर्ष 2009 में अदालत ने जमानत मिलने के बाद उसे 18 नवंबर 2009 को रिहा किया. फैसले में देर होने की वजह से इस मामले को लोक अदालत ले जाया गया. लोक अदालत में मामले की सुनवाई 26 जनवरी 2013 को होनी थी. इसलिए दौलत साव 24 जनवरी 2013 को आत्म समर्पण कर जेल चला गया.
लोक अदालत में सुनवाई के बाद न्यायिक दंडाधिकारी चौधरी अहसान मोइज ने उसे एक साल के सामान्य कारावास की सजा दी. लोक अदालत के फैसले की कॉपी उसी दिन जेल अधिकारियों को मिली. इसके बाद जेल अधिकारियों ने दौलत साव द्वारा जेल में विचाराधीन कैदी के रूप में बितायी गयी अवधि की गणना की. जेल अधिकारियों ने गणना में गड़बड़ी कर उसके जेल में बितायी गयी एक साल आठ माह छह दिन की अवधि को सिर्फ आठ माह छह दिन दिखाया. इस चलते दौलत को उसी दिन जेल से नहीं छोड़ा जा सका.
जेल में दूसरे अधिकारियों के पदस्थापन के बाद गणना में हुई गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ. दूसरे अधिकारियों ने नये सिरे से दौलत साव के जेल में बिताये गये समय की गणना की और 17 अप्रैल 2013 को उसे जेल से रिहा कर दिया.
कैदी का ब्योरा
त्न धनबाद थाना कांड संख्या- 881/2007
नाम – दौलत साव
पिता- अंगद साव
गांव- काकोर चोली
थाना-जयनगर
जिला-कोडरमा
जेल में रहा
13 मार्च 2008 से 18 नवंबर 2009 और 24 जनवरी 2013 से 17 अप्रैल 2013