बिना सुरक्षा ढोये जा रहे हैं स्कूली बच्चे

रांची: राजधानी में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे स्कूली बच्चे निजी वाहनों में ढोये जा रहे हैं. इसमें ऑटो, मारुति वैन, विंगर आदि प्रमुख हैं. इन वाहनों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी हो रही है. खिड़कियों पर न तो सुरक्षा के लिए जाली लगी है और न ही इन वाहनों के पास वाणिज्यिक उपयोग का कोई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:54 PM

रांची: राजधानी में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे स्कूली बच्चे निजी वाहनों में ढोये जा रहे हैं. इसमें ऑटो, मारुति वैन, विंगर आदि प्रमुख हैं.

इन वाहनों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी हो रही है. खिड़कियों पर न तो सुरक्षा के लिए जाली लगी है और न ही इन वाहनों के पास वाणिज्यिक उपयोग का कोई परमिट है. कई वाहन तो काफी पुराने हैं. दिल्ली से लायी गयी पुरानी मारुति वैन भी इसी काम में लायी जा रही है.

हर स्कूल के लिए 10-15 वाहन
राजधानी स्थित लगभग हर प्रमुख स्कूलों में 10-15 ऐसे वाहन हैं, जिनमें सुरक्षा मानकों को ताक पर रख कर बच्चे ढोये जा रहे हैं. इसके अलावा नर्सरी स्कूल व गली-मुहल्ले की कई स्कूलों में तो छोटे वाहनों को ही स्कूली बस का रूप दे दिया गया है. सामान्यत: ये वैसे वाहन हैं, जो काफी पुराने हैं.

क्यों पड़ रही है जरूरत
राजधानी के स्कूलों में काफी संख्या में बच्चे पढ़ रहे हैं. इसकी तुलना में बसों की संख्या काफी कम है. ऐसे में अभिभावकों के पास ज्यादा ऑप्शन नहीं है. इसके अलावा बसें निर्धारित रूट पर ही चलती हैं. जिनके घर रूट से दूर या अलग हैं, उनके लिए ये निजी वाहन ही विकल्प हैं. साथ ही अभिभावक समय की कमी का भी रोना रोते हैं. बस स्टॉप पर दो बार जाना होता है. कामकाजी लोगों के लिए यह परेशानी का कारण है. बच्चों को लेने व छोड़ने के लिए हर काम को छोड़ कर पहुंचना होता है. ऐसे में घर से बच्चों को लाने-ले जाने की सुविधा अभिभावकों को पसंद आ रही है. यह सुविधा बस की तुलना में थोड़ी महंगी होती है.

वाहनों का कॉमर्शियल उपयोग
बच्चों को लाने-ले जाने के लिए उपयोग में आनेवाले ज्यादातर छोटे वाहन निजी श्रेणी में पंजीकृत हैं. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है.

रोजगार के अवसर भी
स्कूली बच्चों के लिए छोटे वाहनों की मांग बढ़ी है.
इससे बड़ी संख्या में लोगों को स्वरोजगार के अवसर भी मिले हैं. निजी वाहन चालक खुद से ही बच्चों को लाने-ले जाने का काम कर रहे हैं. सुबह में स्कूली उपयोग में लाते हैं, इसके बाद वाहनों का निजी रूप से उपयोग किया जाता है.

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