आज रांची आनेवाले थे बलिहार

मंगलवार को दिन के दो बजे तक अमरजीत बलिहार के घर पर सामान्य दिनों की तरह लोग अपने कामकाज में व्यस्त थे, लेकिन, जैसे ही चार बजे फोन पर परिवारवालों को घटना की जानकारी मिली, एकाएक वहां मातम पसर गया. हर तरफ चीख-पुकार मच गयी. लोगों को जैसे-जैसे घटना की जानकारी होती गयी, लोग उनके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:55 PM

मंगलवार को दिन के दो बजे तक अमरजीत बलिहार के घर पर सामान्य दिनों की तरह लोग अपने कामकाज में व्यस्त थे, लेकिन, जैसे ही चार बजे फोन पर परिवारवालों को घटना की जानकारी मिली, एकाएक वहां मातम पसर गया. हर तरफ चीख-पुकार मच गयी. लोगों को जैसे-जैसे घटना की जानकारी होती गयी, लोग उनके घर आने लगे. हर कोई उनके परिवारवालों को ढांढस बंधा रहा था. लोगों को सहसा यकीन ही नहीं हो रहा था कि अब उनके बीच अमरजीत बलिहार नहीं रहे. सभी ने एक स्वर से नक्सलियों की इस घटना की निंदा की.

रांची: दुमका से मीटिंग से निकलने के बाद पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार ने अंतिम बार मंगलवार को दिन के दो बजे पत्नी सुमनलता बलिहार से फोन पर बातचीत की. उन्होंने पूछा कि बच्चे स्कूल से लौट गये हैं. घर का हालचाल भी पूछा. उन्होंने पत्नी से कहा कि वे बुधवार को घर पहुंचनेवाले हैं.

रांची के पत्थलकुदवा स्थित घर में बच्चे आराम कर रहे थे. घर का माहौल शांत था. घर के सदस्य बेसब्री से उनके रांची पहुंचने का इंतजार कर रहे थे. तभी परिजनों को चार बजे के करीब सूचना मिली कि अमरजीत बलिहार पर नक्सलियों ने हमला कर दिया है. घटना में उनकी मौत हो चुकी है. घटना के बाद घर के सभी सदस्य रोने लगे. शाम के पांच बजे तक अमरजीत बलिहार के शहीद होने की सूचना पिता चंद्र मोहन बलिहार से छिपा कर रखी गयी है.

लेकिन घर के दूसरे सदस्यों के चेहरे पर उदासी देख उन्हें किसी अनहोनी का आभास हुआ. तब वे अपने कमरे से बाहर निकले. जिसके बाद उन्हें गार्ड ने बताया कि अमरजीत बलिहार की मौत हो चुकी है. घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को भी मिली. अमरजीत बलिहार के घर सबसे पहले सिल्ली डीएसपी आनंद जोसेफतिग्गा पहुंचे.

इसके बाद भाई जॉन बलिहार घर पहुंचे. सूचना मिलते ही अन्य परिजन भी शाम में 6.30 बजे तक घर पहुंचे. सभी परिजनों की आंखों से आंसू छलक रहे थे. पूरा परिवार उनकी हत्या से शोक संतप्त हो गया था. घर में कोहराम मचा था. सभी ने परिजनों को ढांढस बंधाया. तभी उनके आवास पर पुलिस एसोसिएशन के अधिकारी पहुंचे. सभी नक्सली को कोष रहे थे कि आखिर उन्होंने किसी का क्या बिगाड़ा था. देर शाम तक उनके आवास पर परिजनों को आना- जाना लगा रहा.

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