सेना छावनी पर हमले के पीछे आइएसआइ का मेजरके मेजर का हाथ
एजेंसियां, नयी दिल्लीकश्मीर के मोहुरा स्थित भारतीय सेना की छावनी पर हुए हमले को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के एक मेजर ने अंजाम दिया. उसकी ही देख-रेख और निर्देशन में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने हमला किया था.न्यूज चैनल ‘आज तक’ ने एक अंगरेजी अखबार के हवाले से यह खबर दी है. इसमें कहा गया […]
एजेंसियां, नयी दिल्लीकश्मीर के मोहुरा स्थित भारतीय सेना की छावनी पर हुए हमले को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के एक मेजर ने अंजाम दिया. उसकी ही देख-रेख और निर्देशन में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने हमला किया था.न्यूज चैनल ‘आज तक’ ने एक अंगरेजी अखबार के हवाले से यह खबर दी है. इसमें कहा गया है कि अखबार ने भारतीय गुप्तचर सूत्रों के के हवाले से लिखा है कि उरी सेक्टर की छावनी पर हमला पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आइएसआइ के सीनियर अफसरों के सीधे निर्देश और देख-रेख में हुआ था. इस साल के सबसे बड़े आतंकवादी हमले में 11 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गये थे.गुप्तचर सूत्रों के मुताबिक, हमले के बाद सीमा पार में काफी तरह के संदेशों का आदान-प्रदान हुआ. इसे सुनने के बाद पता चला कि हमले में आइएसआइ की अहम भूमिका है. पाकिस्तानियों की बातचीत से पता चला कि इसमें आइएसआइ के एक मेजर की भूमिका है. उसने ही लश्कर के छह आत्मघातियों को ट्रेनिंग दी थी.आइएसआइ इस तरह के हमलों के लिए वहां बैठे आतंकवादी संगठनों के युवकों को ट्रेनिंग देता रहता है. वर्ष 2008 में भारत पर हुए सबसे बड़े आतंकवादी हमले (मुंबई हमलों) में भी आइएसआइ के एक मेजर का हाथ होने का पता चला था. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि पाकिस्तानी फौज को पता है कि वह भारत के आमने-सामने की लड़ाई नहीं लड़ सकता है. इसलिए बार-बार छद्म युद्ध के तहत आतंकवादियों की भारतीय सीमा में घुसपैठ कराता है. आतंकवादियों को हमले की ट्रेनिंग और जरूरी हथियार मुहैया कराता है.