22 को वट सावित्री व्रत और अलविदा जुमा
22 मई को जहां हिंदू समाज की महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए वट सावित्री व्रत की पूजा अर्चना करेंगी. वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज के लोग अलविदा जुमे की नमाज अदा करेंगे. इस दिन गंगा-जमुनी संस्कृति को देखने का मौका मिलेगा. जब दोनों धर्म के लोग अपने-अपने तरीके से ईश्वर को याद करेंगे. शुक्रवार को महिलाएं घरों में ही रहकर वट सावित्री व्रत की पूजा-अर्चना करेंगी.
रांची : 22 मई को जहां हिंदू समाज की महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए वट सावित्री व्रत की पूजा अर्चना करेंगी. वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समाज के लोग अलविदा जुमे की नमाज अदा करेंगे. इस दिन गंगा-जमुनी संस्कृति को देखने का मौका मिलेगा. जब दोनों धर्म के लोग अपने-अपने तरीके से ईश्वर को याद करेंगे. शुक्रवार को महिलाएं घरों में ही रहकर वट सावित्री व्रत की पूजा-अर्चना करेंगी.
इस बार लॉकडाउन के कारण घरों में ही बरगद पेड़ की डाली अथवा उसके पेड़ की पूजा-अर्चना करेंगी. वहीं कई श्रद्धालु आसपास के मंदिर परिसर में स्थित बरगद के पेड़ की पूजा कर अपने अखंड सुहाग की कामना करेंगी. इसके बाद कथा सुनकर भगवान को विभिन्न फल-फूल अर्पित करने के बाद उन्हें पंखा डुलायेंगी और अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेकर प्रसाद ग्रहण करेंगी. इस दिन स्नान दान की अमावस्या और शनि भगवान की जयंती भी है. इस दिन रात 10:38 तक अमावस्या है, जिस कारण से भक्तों को पूजा-अर्चना करने के लिए काफी समय मिलेगा.
गुरुवार की रात को 9:16 बजे के बाद अमावस्या लग जायेगा. पांच जून पूर्णिमा को दक्षिण भारतीय लोगों की महिलाओं का वट सावित्री व्रत की पूजा-अर्चना होगी. मालूम हो कि उत्तर भारत की महिलाएं कृष्ण पक्ष में और दक्षिण भारत की महिलाएं शुक्ल पक्ष में इस व्रत की पूजा अर्चना करती हैं. मुस्लिम समाज मांगेगा दुआ उधर मुस्लिम समाज के लोग इस दिन अलविदा जुमे की नमाज अदा करेंगे. रमजान माह का आखरी जुमा होने के कारण इसे अलविदा जुमा कहा जाता है. इस दिन लोग नमाज पढ़ने के बाद अल्लाह से दुआ मांगेंगे. दुआ करेंगे कि इस रमजान के दौरान जो कुछ गलती हुई हो उसे माफ करें. इसके अलावा कोरोनावायरस से मुक्ति के लिए भी दुआ करेंगे और आने वाला रमजान सभी के लिए खुशियों से भरा हो, इसकी भी कामना करेंगे.