रांची : राज्य के अति उग्रवाद प्रभावित के 12 जिलों में संविदा पर बहाल 2200 सहायक पुलिसकर्मी सोमवार से अपनी मांगों को लेकर मोरहाबादी मैदान में मंच के समीप अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गये. इनमें दुमका, जमशेदपुर, खूंटी, चाईबासा, गढ़वा, पलामू, चतरा, गिरिडीह, लातेहार आदि के सहाय पुलिसकर्मी शामिल हैं. इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं.
इधर, सहायक पुलिसकर्मियों को मोरहाबादी मैदान पहुंचने से रोकने के लिए रांची पुलिस की ओर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी. कई जगह बैरिकेडिंग की गयी थी. साथ ही बड़ी संख्या में रैपिड एक्शन पुलिस, जिला पुलिस और महिला बटालियन को भी तैनात किया गया था. इसके बावजूद सहायक पुलिसकर्मी धरनास्थल तक पहुंचने में कामयाब रहे.
ये लोग अब भी बारिश के बीच धरनास्थल पर जमे हुए हैं. गौरतलब है कि नक्सल प्रभावित जिलों में संविदा पर 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की बहाली हुई थी. इनमें से कुछ अन्य विभागों में चले गये हैं. फिलहाल विभिन्न जिलों में 2200 सहायक पुलिसकर्मी ही बचे हुए हैं.
सहायक पुलिसकर्मी की ओर से विवेकानंद ने कहा : सरकार हमें एक साल से गुमराह कर रही है. हमारा वेतनमान दैनिक मजदूरों से भी कम है. झारखंड पुलिस में समायोजन, पुलिस की तरह अवकाश और वेतनमान वृद्धि हमारी मुख्य मांगें हैं.
पिछले साल धरना के दौरान मंत्री मिथिलेश ठाकुर मिलने आये. उन्होंने आश्वासन दिया था कि हमारी मांगों पर विचार करने के लिए जल्द ही पांच सदस्यीय कमेटी गठित होगी. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जायेगा. इसके लिए 15 दिन का समय लिया गया था. आज एक साल बीत गये, लेकिन हमारी मांगों पर विचार नहीं किया.
सहायक पुलिसकर्मियों ने पिछले साल 12 से 23 सितंबर तक मोरहाबादी मैदान में धरना दिया था. जब उनकी मांगों पर कोई पहल नहीं हुई, तो वे बैरिकेडिंग तोड़ कर मुख्यमंत्री आवास की ओर जाने लगे. ऐसे में उन्हें रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. तब इनलोगों ने ईंट-पत्थरों से पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया. उग्र प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिसकर्मियों को टीयर गैस छोड़ना पड़ा था. उस घटना में सिटी एसपी और वहां तैनात कुछ पुलिसकर्मियों के अलावा कुछ सहायक पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे. बाद में इनको जबरन उनके जिलों में भेज दिया.
Posted by : Sameer Oraon