रैगिंग करते पकड़े गये तो तीन साल की जेल

रांची: शिक्षण संस्थानों में नये सत्र की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान ज्यादातर नये विद्यार्थी रैगिंग के नाम पर सहमे रहते हैं. हालांकि हाल के कुछ वर्षो में रैगिंग की घटनाओं के बाद कई कदम उठाये गये हैं. इनमें एंटी रैगिंग सेल का गठन करना भी शामिल है. इस सेल के बावजूद शिक्षण संस्थानों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:56 PM

रांची: शिक्षण संस्थानों में नये सत्र की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान ज्यादातर नये विद्यार्थी रैगिंग के नाम पर सहमे रहते हैं. हालांकि हाल के कुछ वर्षो में रैगिंग की घटनाओं के बाद कई कदम उठाये गये हैं. इनमें एंटी रैगिंग सेल का गठन करना भी शामिल है. इस सेल के बावजूद शिक्षण संस्थानों में रैगिंग की घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश नहीं लगाया जा सका है.

आये दिन रैगिंग की छिटपुट घटनाएं सामने आती रहती हैं. रैगिंग के खिलाफ जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता रहा है. यूजीसी के गाइड लाइन के तहत सभी प्रमुख कॉलेजों में एंटी रैगिंग सेल का गठन हुआ है. विश्वविद्यालय स्तर पर भी एक सेल है. कई कॉलेजों के प्रिंसिपल से बात करने पर उन्होंने कहा कि एडमिशन के समय ही स्टूडेंट्स को रैगिंग नहीं करने से संबंधित शपथ पत्र भरना पड़ता है.

रैगिंग का दोषी पाये जाने पर यह सजा मिल सकती है
रैगिंग करने के दोषी पाये जाने पर रैगिंग की प्रकृति के अनुसार सजा दी जाती है. गंभीर प्रकृति की रैगिंग करने वाले विद्यार्थी को तीन वर्ष का सश्रम कारावास और 25 हजार रुपये का जुर्माना सक्षम पदाधिकारी द्वारा लगाया जा सकता है.

इसके अलावा विद्यार्थी को शिक्षण संस्थान से निष्कासित किया जा सकता है. उनका नामांकन रद्द हो सकता है. कक्षा से निलंबित किया जा सकता है. छात्रवृत्ति तथा अन्य लाभ से भी वंचित किया जा सकता है. उनका परीक्षाफल रोका जा सकता है. उन्हें किसी भी अन्य शिक्षण संस्थान में प्रवेश लेने, अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लेने से वंचित किया जा सकता है. (जेल और जुर्माना की सजा अदालत के द्वारा दी जाती है. बाकी सजा देने का अधिकार शिक्षण संस्थाओं को भी है.)

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