रांची: आदिवासी सरना धर्म समाज की बैठक में पाहनों के अस्तित्व, पहचान व अधिकार पर आ रहे संकट पर चर्चा हुई. इसके अलावा सरना धर्म की परंपरा, रीति रिवाज, विधान, नेग दस्तूर पर राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा द्वारा की जा रही छेड़छाड़ को लेकर भी विचार किया गया. अगले वर्ष 20 फरवरी को रांची में पाहन संसद करने का भी निर्णय लिया गया.
बैठक रविवार को सरनाटोली हातमा स्थित सामुदायिक भवन में हुई. इसमें सरना धर्म समाज के संयोजक लक्ष्मी नारायण मुंडा ने कहा कि राजी पड़हा प्रार्थना सभा द्वारा लोवाडीह में पाहन हटाने, धर्मगुरु, धर्मबहन बनाने का काम हो रहा है जो सरना धर्म के मूल सिद्धांतों के विपरीत है. आदिवासियों की जमीन लूट में आदिवासी समाज के अंदर के लोग ही शामिल है. दूसरे वक्ता जगलाल पाहन ने कहा कि सरना समुदाय के बीच जनजागरण चलाना जरूरी है तभी ऐसी घटनाओं पर रोक लगायी जा सकती है.
मुंडा समाज की बैठक
मुंडा समाज विकास समिति की बैठक में तय किया गया कि समिति के वार्षिक कार्यक्रम जोहार जगर का आयोजन आठ फरवरी को होगा. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए प्रभारियों का मनोनयन किया गया. इनमें जीतमोहन सिंह मुंडा, राय सिंह मुंडा, सुभाषचंद्र मुंडा, अनिल सिंह मुंडा, रामभजन सिंह मुंडा, लक्ष्मीदास मुंडा, शंभू नारायण मुंडा सहित अन्य शामिल है. इसके अलावा वनरक्षी परीक्षा में मुंडारी भाषा को शामिल नहीं किये जाने की निंदा की गयी. बैठक में कहा गया कि समिति शीघ्र ही इस संबंध में वन विभाग के वरीय पदाधिकारियों से मिल कर उन्हें ज्ञापन सौंपेगी. बैठक रविवार को गुरु चरण सिंह मुंडा की अध्यक्षता में हुई. रविवार की बैठक में सागर बोदरा, राधागोविंद सिंह मुंडा, धर्मा मुंडा, बुधराम मुंडा सहित अन्य उपस्थित थे.