वाहन चोरी के सबसे बड़े गिरोह का खुलासा, मुंबई तक फैला है जाल

रांची: रांची पुलिस ने अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह को आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है. गिरोह का सरगना राजेश कुमार सिंह रांची का है. उसके गिरोह में मनोज कुमार श्रीवास्तव (छपरा), मो सरफुद्दीन (छपरा), विजय जायसवाल (रांची), सोनू कुमार उर्फ विकास (हजारीबाग व रांची), संजय कुमार ठाकुर (डोरंडा), गुड्डू पांडेय (छपरा) व राजेश विश्वकर्मा (रांची)शामिल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 16, 2014 1:07 AM

रांची: रांची पुलिस ने अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह को आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया है. गिरोह का सरगना राजेश कुमार सिंह रांची का है. उसके गिरोह में मनोज कुमार श्रीवास्तव (छपरा), मो सरफुद्दीन (छपरा), विजय जायसवाल (रांची), सोनू कुमार उर्फ विकास (हजारीबाग व रांची), संजय कुमार ठाकुर (डोरंडा), गुड्डू पांडेय (छपरा) व राजेश विश्वकर्मा (रांची)शामिल हैं. अपराधियों की निशानदेही पर पुलिस ने चार बोलेरो व एक स्कॉर्पियो सहित पांच वाहन बरामद किये हैं. अपराधियों के पास से वाहनों की चाबी, रेती, वाहनों के लॉक खोलने के औजार आदि मिले हैं. गिरोह ने सरकारी वाहनों की भी चोरी की है.

एसएसपी प्रभात कुमार, सिटी एसपी अनूप बिरथरे व कोतवाली डीएसपी दीपक अंबष्ट के अनुसार गिरोह का लिंक कोलकाता और मुंबई से भी जुड़ा हुआ है. गिरोह के सदस्य बिहार से चोरी किये गये वाहन झारखंड में, जबकि झारखंड से चोरी किये गये वाहन बिहार में बेचते थे. चोरी गये कई वाहन असम व त्रिपुरा में भी बेचे गये हैं. गिरोह के सदस्य एक्सीडेंट में पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त वाहन का चेसिस, इंजन व रजिस्ट्रेशन नंबर का प्रयोग कर वाहन की बिक्री करते थे. वाहनों को काट कर उसका पार्ट पुरजा भी बेच देते थे. इस गिरोह में शामिल रांची के तीन कबाड़ी चांद खान, मो बुलंद उर्फ डबलू व नसीम अहमद की भी तलाश पुलिस को है.

मुंबई में जेल जा चुका है सरगना राजेश

सिटी एसपी के अनुसार गिरोह का सरगना राजेश कुमार सिंह वाहन चोरी के मामले में मुंबई में भी जेल जा चुका है. राजेश खुद कम से कम 45 वाहनों की चोरी कर चुका है. राजेश ने पुलिस को बताया कि वह किसी भी वाहन का लॉक तीन से चार मिनट में खोल सकता है.

वाहन चोरी पर फिल्म भी बन चुकी है

सिटी एसपी ने बताया कि दिल्ली के वाहन चोर गिरोह पर ओय लकी, लकी ओय फिल्म भी बन चुकी है. उस फिल्म कहानी राजेश कुमार सिंह कारनामों से मिलती जुलती है. उस फिल्म को देखने के बाद ऐसा लगता है कि किसी ने इसी गिरोह पर फिल्म बना दी है.

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