कैंसर से बचाएगा ‘डिजिटल नोज’

एजेंसियां, नयी दिल्लीवातावरण में मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं और वायरस को इस तरह पहचानना कि कौन हमारे लिए फायदेमंद हैं और कौन खराब, यह हमारे बस की बात नहीं हैं. हां, कुदरत ने कुत्तों को यह शक्ति दी है, जिनकी घ्राण (सूंघने की) शक्ति जबरदस्त होती है. बीते कुछ सालों में हुए अध्ययनों से यह भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2014 3:01 PM

एजेंसियां, नयी दिल्लीवातावरण में मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं और वायरस को इस तरह पहचानना कि कौन हमारे लिए फायदेमंद हैं और कौन खराब, यह हमारे बस की बात नहीं हैं. हां, कुदरत ने कुत्तों को यह शक्ति दी है, जिनकी घ्राण (सूंघने की) शक्ति जबरदस्त होती है. बीते कुछ सालों में हुए अध्ययनों से यह भी साबित हो चुका है कि कुत्तों की सूंघने की ताकत का इस्तेमाल बीमारियों की पहचान में भी किया जा सकता है.सूंघने के इसी फीचर को वैज्ञानिकों ने एक माइक्र ोचिप में डाल दिया है. सालों की मेहनत और रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों ने डिजिटल नोज तैयार किया है. ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की लैब में डॉ एंड्रू कोल ने लंबे समय तक रिसर्च के बाद माइक्र ोचिप स्पेक्ट्रोमीटर ईजाद किया है. यह सूंघने की उसी ताकत का इलेक्ट्रोनिक रूप है जो कुत्तों में कुदरती तौर पर पाया जाता है.यह है खासयह चिप बेहद सधे हुए अंदाज में काम करती है. सिक्के से भी छोटी इस चिप में लगे हजारों सेंसर हवा में बिखरे रसायन को पहचानने की क्षमता रखते हैं. ये न सिर्फ रसायन को पहचान लेती है, बल्किवह रसायन किन घटकों से बना है यह भी पता लगा सकती है. अगर सेंसर को ठीक से सेट कर दिया जाये तो यह रसायन के एक खास स्तर पर पहुंचते ही अलार्म बजा देगा. किसी बीमारी के रसायन में ये खतरे की घंटी भी हो सकती है. एक आम इनसान की नाक की तरह ही यह चिप चीजें पहचानने की ताकत रखती है. लेकिन ये हमारी और आपकी नाक से हजार गुना ज्यादा ताकतवर है, उन्नत है, ठीक एक कुत्ते की नाक की तरह.

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