Revenue News : मुकदमेबाजी में फंस गये टैक्स के 2385 करोड़ रुपये

राज्य सरकार के लिए राजस्व उगाही बड़ी चुनौती है. खास कर अलग-अलग अदालतों और फोरम में सरकार के करोड़ों रुपये फंसे हैं. वैट, जीएसटी और अन्य मामलों के विवाद के मामला अलग-अलग कोर्ट पहुंच रहे हैं. 2000 से ज्यादा लंबित मामले हैं. अलग-अलग सक्षम न्यायालयों में कुल 2385.39 करोड़ रुपये की राशि फंसी है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 16, 2025 12:31 AM

आनंद मोहन (रांची). राज्य सरकार के लिए राजस्व उगाही बड़ी चुनौती है. खास कर अलग-अलग अदालतों और फोरम में सरकार के करोड़ों रुपये फंसे हैं. वैट, जीएसटी और अन्य मामलों के विवाद के मामला अलग-अलग कोर्ट पहुंच रहे हैं. 2000 से ज्यादा लंबित मामले हैं. अलग-अलग सक्षम न्यायालयों में कुल 2385.39 करोड़ रुपये की राशि फंसी है.

विभागीय अधिकारियों को लंबित मामलों के निबटारे के लिए सक्रिय होने का निर्देश

अपर आयुक्त के अपीलीय न्यायालय में कुल 1555 मामले लंबित है. इसमें अलग-अलग प्रमंडल के कुल 772.76 करोड़ की राशि का विवाद लटका है. इधर, हाइकोर्ट में 521 मामले लंबित हैं. इसमें 1335.47 करोड़ की राशि इस पूरे विवाद में शामिल है. विभाग की बड़ी राशि इन मामलों में फंसी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में फिलहाल 38 मामले लंबित हैं. इसमें विभाग 276.89 करोड़ का दावा कर रहा है. पिछले दिनों वाणिज्य कर विभाग की समीक्षा बैठक में यह विषय वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर और वरीय अधिकारियों के संज्ञान में आया था. समीक्षा बैठक में लंबित मामलों के निबटारे के लिए विभागीय अधिकारियों को सक्रिय होने का निर्देश भी दिया गया था.

पूर्व में विवादों के वन टाइम सेटेलमेंट से आये थे 500 करोड़ रुपये

पूर्व वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव के कार्यकाल के दौरान कोर्ट में फंसे मामले की वसूली के लिए वन टाइम सेटेलमेंट का प्रावधान किया गया था. इसमें करदाता के साथ सहमति बना कर केस के निबटारे का फॉर्मूला अपना गया. इससे 500 करोड़ राजस्व की वसूली हुई थी. इस बाबत पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि वर्षों से विभाग में टैक्स के मामले लंबित चल रहे हैं. सरकार को करोड़ा नुकसान हो रहा है. करदाता और विभाग कानूनी लड़ाई में उलझे रहते हैं. सरकार इसके हल की दिशा में प्रयास करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में वन टाइम सेटेलमेंट के फॉर्मूले से विभाग को फायदा हुआ. पूर्व में सरकार एक ही बार इसपर काम कर पायी थी. विभाग और करदाताओं के बीच सकारात्मक बातें होनी चाहिए.

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