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टीबी की चपेट में आये 254 युवा
पढ़ने और कैरियर बनाने की उम्र में रांची के लड़के हो रहे बीमार राजीव पांडेय रांची : राजधानी के युवा टीबी की चपेट में आ रहे हैं. पढ़ने, कैरियर बनाने एवं नौकरी करने की उम्र में उन्हें टीबी की बीमारी हो रही है. रांची के जिला यक्ष्मा कार्यालय के आंकड़ों की मानें तो जनवरी से […]
पढ़ने और कैरियर बनाने की उम्र में रांची के लड़के हो रहे बीमार
राजीव पांडेय
रांची : राजधानी के युवा टीबी की चपेट में आ रहे हैं. पढ़ने, कैरियर बनाने एवं नौकरी करने की उम्र में उन्हें टीबी की बीमारी हो रही है. रांची के जिला यक्ष्मा कार्यालय के आंकड़ों की मानें तो जनवरी से सितंबर 2014 तक टीबी के कुल 2,570 मरीजों की जांच की गयी, जिसमें 1307 लोगों में टीबी की पुष्टि हुई है. इसमें से 254 मरीज युवा हैं. युवाओं की उम्र 15 से 44 वर्ष के बीच है.
59 मरीजों ने बीच में छोड़ा इलाज
जिला यक्ष्मा कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि सितंबर 2014 तक 59 लोगों ने टीबी का इलाज बीच में छोड़ दिया है. इससे कई मरीज एमडीआर टीबी की चपेट में आ गये है. वहीं 141 मरीजों का इलाज फिर से शुरू किया गया है. रिम्स के फिजिशियन डॉ संजय कुमार ने बताया कि टीबी लाइलाज बीमारी नहीं है, लेकिन इसका इलाज समय पर शुरू होना चाहिए. मरीज इलाज को बीच में छोड़ देते हैं, जिसके चलते यह बीमार ठीक नहीं हो पाती.
बढ़ रही युवा मरीजों की संख्या
युवाओं में बेतरतीब लाइफ स्टाइल एवं धूम्रपान की आदत से टीबी की बीमारी हो रही है. युवा मरीजों की संख्या बढ़ रही है. जनवरी से मार्च 2014 तक शून्य से 14 वर्ष के मरीजों की संख्या सात, 15 से 24 वर्ष के मरीजों की संख्या 74, 25 से 34 वर्ष के मरीजों की संख्या 61 तथा 35 से 44 वर्ष के मरीजों की संख्या 68 थी. वहीं अप्रैल से जून 2014 तक शून्य से 14 वर्ष के मरीजों की संख्या 12, 15 से 24 वर्ष के मरीजों की संख्या 99, 25 से 34 वर्ष के मरीजों की संख्या 77 एवं 35 से 44 वर्ष के मरीजों की संख्या 78 हो गयी.
भारत में टीबी की स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2011 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में टीबी के 20 से 25 लाख मरीज हैं, इनमें से 70 प्रतिशत मरीज 15 से 54 वर्ष के बीच के हैं.
टीबी नियंत्रण कार्यक्रम
भारत में टीबी के नियंत्रण व रोकथाम के लिए 1997 में संशोधित राष्ट्रीय टीबी रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) को शुरू किया गया. इसके तहत डायरेक्टली ऑब्जव्र्ड ट्रीटमेंट शॉर्ट कोर्स (डॉट्स) से मरीजों को जोड़ा गया है. इसके तहत पूरे देश में डॉट्स कार्यक्रम चलाया जाता है. इसे देश के ऐंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर को भी जोड़ा गया है. डॉट्स की दवा छह माह तक चलती है.
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