18 तक समय, सत्ता पक्ष बेवजह परेशान : सीपी सिंह

हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार का गठन हो गया है. विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है. इसे लेकर सत्ता पक्ष परेशान है. 18 को सरकार विश्वासमत हासिल करेगी. पक्ष–विपक्ष में शह–मात का खेल चल रहा है. सत्ता के गलियारे में खलबली है. स्पीकर के इस निर्णय से राजनीतिक गलियारे […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2013 7:02 AM

हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार का गठन हो गया है. विधानसभा अध्यक्ष सीपी सिंह ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है. इसे लेकर सत्ता पक्ष परेशान है. 18 को सरकार विश्वासमत हासिल करेगी. पक्षविपक्ष में शहमात का खेल चल रहा है. सत्ता के गलियारे में खलबली है. स्पीकर के इस निर्णय से राजनीतिक गलियारे में तरहतरह की चर्चा है. सरकार के बनतेबिगड़ते समीकरण को लेकर तरहतरह की अटकलें लगायी जा रही है. प्रभात खबर के ब्यूरो प्रमुख आनंद मोहन ने स्पीकर से विशेष बातचीत कर राजनीति की परतें खोलने की कोशिश की.


राज्य
में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में नयी सरकार बन गयी है. परंपरा रही है कि नयी सरकार बनने के बाद स्पीकर इस्तीफा देते हैं. आप पद पर बने हुए हैं.


सही
है कि ऐसी परंपरा रही है. मैं भी परंपरा का निर्वहन करूंगा. संसदीय परंपरा का मुङो ज्ञान है. इसकी रक्षा होगी. आप निश्चिंत रहें.

आप कह रह हैं कि परंपरा निभायी जायेगी. 13 को हेमंत सोरेन ने शपथ लिया.

दो दिन बीत गये. इंतजार क्यों?

इंतजार क्यों होगा. मुझे मालूम है कि नयी सरकार बन गयी है. अभी देरी नहीं हुई है. उचित समय में उचित निर्णय होगा. विधानसभा का एक क्षण भी बरबाद नहीं होना चाहिए. मैं विधानसभा का एक क्षण बरबाद नहीं होने दूंगा.


सत्ता
पक्ष बेचैन है?

ये तो सत्ता पक्ष से पूछना चाहिए. उनकी बेचैनी अनावश्यक है. मैं उनकी बेचैनी का कारण नहीं बता सकता हूं.


स्पीकर
सदन के कस्टोडियन होते हैं. सत्ता पक्ष उंगली उठा रहा है, तो क्या इस्तीफा नहीं देना चाहिए?

यह सही है कि स्पीकर सदन के कस्टोडियन होते हैं. मेरे लिए पक्षविपक्ष दोनों एक समान हैं. मुझ पर क्यों उंगली उठा रहे हैं, यह तो सत्ता पक्ष से पूछना चाहिए.


सत्ता
पक्ष का आरोप है कि आप इस आसन से विपक्ष को मदद करेंगे?

मेरे लिए पक्ष विपक्ष दोनों समान हैं. स्पीकर दलीय भावना से ऊपर उठ कर काम करता है. मुङो अपने दायित्व की जानकारी है. सदन के अंदर सर्वसम्मति से स्पीकर का चयन होता है. ऐसे में विपक्ष की मदद की कोई बात नहीं है. स्पीकर निष्पक्ष भाव से कानून सम्मत निर्णय लेता है.


विश्वासमत
अर्थात 18 जुलाई से पहले इस्तीफा नहीं देंगे?

18 जुलाई में अभी समय है. समय आयेगा, तो पता चल जायेगा.

विश्वासमत के बाद यदि सत्ता पक्ष कहे कि आप ही सदन चलायें. स्पीकर रहें, तब?

अभी कुछ नहीं कह सकता. यह हमारे विवेक पर निर्भर करेगा.


क्या
पार्टी ने पद नहीं छोड़ने के लिए कहा है? स्पीकर को पार्टी से मतलब नहीं होता है. जब तक मैं इस चेयर पर हूं, अपने विवेक से निर्णय लूंगा. स्पीकर होते हुए पार्टी के साथ मेरा कोई संबंध नहीं है. हां, यह जरूर है कि बाकी कार्यो में पार्टी के अनुसार ही चलता हूं.


झामुमो
विधायक नलिन सोरेन और सीता सोरेन पर वारंट है. सदन में पहुंचते हैं, तो आपकी क्या भूमिका होगी?

विधायकों के ऊपर कानून को कार्रवाई करनी है. इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है. जहां तक सदन के अंदर आने की बात है, तो सदन में वे मेरे लिए माननीय सदस्य होंगे. दूसरे माननीय सदस्यों के साथ मेरा जो रोल है, वही उनके साथ भी रहेगा. उनके साथ मेरी कोई बदली हुई भूमिका नहीं रहेगी.

इन विधायकों के वारंट की सूचना तो प्रशासन ने आपको भी भिजवायी है?


नलिन
सोरेन के वारंट की सूचना विधानसभा को जरूर दी गयी है. मुङो सूचना दी गयी है, मैंने सूचना ग्रहण कर लिया है. मैं पुलिस का काम नहीं कर सकता हूं. मैं माननीय सदस्यों को गिरफ्तार करवा दूं, तो फिर पुलिस प्रशासन क्या काम करेगा. यह तो उनका कर्त्तव्य है.

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