रांची: असम में हुए झारखंडी आदिवासियों की हत्या के खिलाफ झारखंड माइंस एरिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी (जमैक) व नेटवर्क ऑफ एडवोकेट्स फॉर राइट्स एंड एक्शन (नारा) ने गुरुवार को प्रतिवाद मार्च निकाला. इसमें कई सामाजिक व राजनैतिक कार्यकर्ता शामिल हुए. इस मौके पर जमैक द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि बोडो द्वारा झारखंडी आदिवासियों पर हमला उस संगठन के कायराना प्रवृत्ति को उजागर करता है.
असम की चाय विश्वप्रसिद्ध है और इसके उत्पादन में झारखंडी मूल के आदिवासियों की अहम भूमिका रही है़ शुरुआती समय में इन्होंने ही अपना गांव घर छोड़ कर इस उद्योग को विकसित किया है, पर आज भी असम में इनके अस्तित्व पर बराबर प्रश्न चिह्न् खड़ा किया जाता है. झारखंड के आदिवासी हमेशा वहां के उग्रवादियों के निशाने पर रहे हैं.
वहां की राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है, जबकि यह एक संवेदनशील मामला है. वक्ताओं ने कहा कि असम में आदिवासियों की हत्या असम सरकार एवं केंद्र सरकार की विफलता का नतीजा है. पूर्व में भी असम में आदिवासियों की हत्या की गयी थी. तब भी सरकार मौन रही.
इस प्रतिवाद मार्च में शामिल लोगों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने व वहां की सरकार से झारखंडी आदिवासियों को पूर्ण सुरक्षा देने की मांग की है़ प्रतिवाद मार्च में झारखंड माइंस एरिया को-ऑर्डिनेशन कमेटी के उमेश नजीर, नारा के गोपीनाथ घोष, अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय महासचिव छत्रपति शाही मुंडा, अखिल भारतीय नौजवान संघ के अजय सिंह, शिवा कच्छप, रायमुल बानरा, सुनील मिंज, स्टेन स्वामी, रतन तिर्की, सुशील उरांव, महादेव उरांव, फरजाना फारूकी, नाजिर हुसैन, जाउनी केरकेट्टा, बसनी मुमरू, रीता सोरेन, रूपी उरांव, मनोज उरांव, सुनील मुमरू, गुलाबी कुमारी, उर्मिला इंदीवार, लक्ष्मी कुमारी, वीर सिंह मुंडा, दीपक किस्कू व अन्य शामिल थ़े.