मुक्त कराये बच्चों के पुनर्वास की व्यवस्था हो : मेयर

– एक्शन एड एवं दिया सेवा संस्थान की बैठक तसवीर राज की हैसंवाददाता, रांची मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि दिल्ली व अन्य महानगरों से ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों को छुड़ा कर लाया जाता है. उन्हें कुछ दिनों के लिए आश्रय भी मिल जाता है, पर इतना काफी नहीं है. उन बच्चों व उनके अभिभावकों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 29, 2014 9:02 PM

– एक्शन एड एवं दिया सेवा संस्थान की बैठक तसवीर राज की हैसंवाददाता, रांची मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि दिल्ली व अन्य महानगरों से ट्रैफिकिंग के शिकार बच्चों को छुड़ा कर लाया जाता है. उन्हें कुछ दिनों के लिए आश्रय भी मिल जाता है, पर इतना काफी नहीं है. उन बच्चों व उनके अभिभावकों के पुनर्वास की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए , ताकि वे दोबारा ट्रैफिकिंग के शिकार नहीं हो सके. मेयर सोमवार को एक्शन एड एवं दिया सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित परामर्शी बैठक को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी. बैठक में ट्रैफिकिंग के शिकार एवं बेघर बच्चों की स्थिति पर विचार किया गया. एक्शन एड के रिजनल मैनेजर विनय ओहदार ने कहा कि वैश्वीकरण एवं नयी आर्थिक व्यवस्था की वजह से गांवों से शहरों की ओर पलायन बढ़ा है. पलायन करने वालों लोगों में बड़े लोगों के साथ बच्चों की भी बड़ी संख्या है. ऐसे बच्चों के लिए अलग से नीतियां बनाने की जरूरत है.दिया सेवा संस्थान के बैद्यनाथ ने सीआइडी के आंकड़े का हवाला देते हुए कहा कि 2009 से 2013 तक झारखंड में 1594 बच्चे लापता हुए. इनमें मात्र 689 बच्चे ही मिल सके. लापता 1594 बच्चों के मामले में 233 मामलों में ही पुलिस में एफआइआर दर्ज हो सकी है. एक्शन एड के एलेक्स जॉर्ज, बाल अधिकार पर काम करनेवाली रंजना, सीता स्वांसी सहित अन्य ने भी अपने विचार रखे.

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