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कोयला उद्योग की पांच दिन की हडताल शुरू, नहीं मिलेगा कोयला बिजली पर भी असर

विभिन्न यूनियन के आह्वान पर कोल इंडिया के देश भर के कर्मचारी मंगलवार (छह जनवरी) से पांच दिनों तक हड़ताल पर जा रहे हैं. हड़ताल के कारण कोल इंडिया में काम ठप रहेगा.कोयले की आपूर्ति नहीं होने से झारखंड समेत देश के कई पावर प्लांट से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है. इससे बिजली की […]

विभिन्न यूनियन के आह्वान पर कोल इंडिया के देश भर के कर्मचारी मंगलवार (छह जनवरी) से पांच दिनों तक हड़ताल पर जा रहे हैं. हड़ताल के कारण कोल इंडिया में काम ठप रहेगा.कोयले की आपूर्ति नहीं होने से झारखंड समेत देश के कई पावर प्लांट से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है. इससे बिजली की व्यवस्था चरमरा सकती है. झारखंड के पावर प्लांट के पास सिर्फ तीन दिनों का स्टॉक है, जबकि हड़ताल पांच दिनों की है.
ऐसे एहतियात के तौर पर कई दिनों से कोल इंडिया देश के पावर प्लांट को प्रतिदिन 207 मालगाड़ी के बजाय 225 मालगाड़ी कोयले की आपूर्ति कर रही है, ताकि कोयले की कमी नहीं रहे. पूरे देश में 80 फीसदी कोयले का उत्पादन कोल इंडिया अकेले करती है. संकेत तो यह भी है कि बात नहीं बनने पर कोल इंडिया में 13 जनवरी को भी हड़ताल हो सकती है.
रांची : कोल इंडिया की सभी कंपनियों के कर्मी मंगलवार से पांच दिनों की हड़ताल में रहेंगे. हड़ताल 10 जनवरी तक प्रभावी रहेगी. कोल इंडिया के ट्रेड यूनियन एटक, इंटक, एचएमएस व बीएमएस ने हड़ताल का नोटिस दे दिया है. सीटू ने भी इसका समर्थन किया है.
कोल इंडिया में हड़ताल से राज्य के पावर प्लांटों पर गंभीर संकट आ सकता है. झारखंड में बिजली आपूर्ति चरमराने की आशंका है. तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन और डीवीसी से उत्पादन ठप होने की आशंका है.
टीटीपीएस में प्रतिदिन सात हजार टन खपत : हड़ताल से सबसे अधिक प्रभाव तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) पर पड़ सकता है. टीटीपीएस के पास मात्र तीन दिन के कोयले का स्टॉक है. यहां प्रतिदिन सात हजार टन कोयले की खपत है. टीवीएनएल के एमडी राम अवतार साहू ने बताया : हड़ताल से पावर प्लांट पर असर पड़ सकता है.
डीवीसी के तीन पावर प्लांट : डीवीसी के पास भी सिर्फ तीन दिन का स्टॉक है. डीवीसी का राज्य में तीन पावर प्लांट है.
कोडरमा में एक हजार मेगावाट का पावर प्लांट है. चंद्रपुरा में 890 व बोकारो में 630 मेगावाट का पावर प्लांट है. डीवीसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया : लगभग तीन दिन का स्टॉक है. डीवीसी प्रतिदिन कोयला मंगाता है.
हड़ताल होगी, तो पावर प्लांट पर असर पड़ेगा ही. उन्होंने आशंका जतायी है कि तीन दिन बाद कभी भी पावर प्लांट से उत्पादन ठप हो सकता है.
पीटीपीएस पर खास असर नहीं : हड़ताल से पतरातू थर्मल पावर (पीटीपीएस) पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. पीटीपीएस के पास 15 दिन के कोयले का स्टॉक है. झारखंड ऊर्जा विकास निगम के निदेशक (जनसंपर्क) पांडेय रमणीकांत सिन्हा ने बताया कि पतरातू पावर प्लांट में फिलहाल कोई संकट नहीं है. यहां 62426 एमटी कोयले का स्टॉक है. इनलैंड पावर की क्षमता 60 मेगावाट की है. इसे सीसीएल के रिजेक्ट कोल से चलाया जाता है. अभी तीन से चार दिनों का स्टॉक है.
हड़ताल के समर्थन में की सभा
हड़ताल से एक दिन पूर्व सोमवार को सीसीएल में पांचों यूनियनों ने सभा की. यूनियन के सदस्यों ने मुख्यालय परिसर का चक्कर लगा कर हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया. सभा में एटक नेता अशोक यादव ने कहा : यह कोल इंडिया के अस्तित्व की लड़ाई है. इसमें चूक गये, तो बहुत पछतायेंगे. सीटू के डीडी रामानंदन ने कहा : वर्तमान सरकार कोल इंडिया को निजी हाथों में सौंपना चाहती है. इस कारण साजिश की जा रही है. इस मौके पर कई मजदूर नेता मौजूद थे.
जेसीसी में भी नहीं माने
कोयला मजदूरों को मनाने के लिए सोमवार को सीसीएल व सीएमपीडीआइ में संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक भी हुई. बैठक में दोनों कंपनियों के प्रबंधन ने मजदूर नेताओं से आग्रह किया कि कंपनी हित में आंदोलन पर नहीं जायें.
मजदूर नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि अब हड़ताल से वापस होने का सवाल ही नहीं उठता है. सीटू नेता आरपी सिंह ने कहा कि मजदूर हितों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है. मजदूर यूनियन आर्डिनेंस वापस लेने के बाद ही मानेंगे.
आठ मिलियन टन उत्पादन होगा प्रभावित
हड़ताल से करीब आठ मिलियन टन कोयला उत्पादन प्रभावित हो सकता है. दिसंबर में कंपनी ने एक माह में करीब 47 मिलियन टन उत्पादन किया था. इस हिसाब से एक दिन में औसतन 1.5 मिलियन टन कोयले का उत्पादन सभी कोयला कंपनियां करती हैं. करीब सात मिलियन टन कोयले का डिस्पैच भी नहीं हो पायेगा.
अधिकारी एसोसिएशन ने किया समर्थन
कोल इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव पीके सिंह ने सभी यूनियनों को पत्र लिख कर नैतिक समर्थन देने की बात कही है. लिखा है कि एक गंभीर मुद्दे को लेकर यूनियन ने हड़ताल करने का निर्णय लिया है. सरकार के हाल के कदम से कोल इंडिया में काम करनेवाले सभी लोगों की सामाजिक आर्थिक पहलू पर असर पड़ेगा.
राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन के अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह ने कहा कि पहली बार अधिकारी मजदूरों के साथ खड़े हुए हैं. इसके लिए अधिकारियों को धन्यवाद दिया जाना चाहिए.
कोयला मंत्री ने मजदूर नेताओं को बुलाया
कोयला मंत्री ने हड़ताल करनेवाली मजदूर यूनियन के नेताओं को बैठक करने दिल्ली बुलाया है. बैठक मंगलवार दिन के 11 बजे से होगी. हालांकि यूनियन के नेताओं ने बैठक में जाने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है.
क्या कहती है यूनियनकोयले का दोहन होगा
कोल ब्लॉक निजी हाथों में देकर, उन्हें बिक्री का अधिकार दिये जाने से देश को नुकसान होगा. यह कोल इंडिया को फिर से निजीकरण की ओर ले जाने की कोशिश हो रही है. फिर से राष्ट्रीयकरण के पूर्व वाली स्थिति हो जायेगी. उस वक्त कोयला खदानों की स्थिति बहुत खराब हो गयी थी.
निजी कंपनियां सस्ती माइनिंग करेंगी. शुरू में सस्ती कीमत पर कोयला बेच कोल इंडिया का बाजार खराब करेंगी. इससे धीरे-धीरे कोल इंडिया की कंपनियां बैठ जायेंगी. इसके बाद इन कंपनियों को रुग्ण (सीक) घोषित कर निजी हाथों में सौंप दिया जायेगा. निजी खनन के क्षेत्र में कई विदेशी कंपनियां भी आयेंगी. उन्हें जनता के हित से कुछ लेना देना नहीं होगा. वैसे कंपनियां कोयला खनन संबंधी सुरक्षा पैमाने का भी ख्याल नहीं रखेंगी. ऐसे पहले देश देख चुका है.
क्या कहती है कंपनी
उत्पादन बंद करना ठीक नहीं
श्रमिक संघों की ओर से उठाये गये विभिन्न बिंदुओं पर श्रमिक संगठनों से कई बार वार्ता हुई है. इसके तहत वीआरएस, सेवानिवृत्त कर्मियों को मेडिकल सुविधा देने की कार्यवाही हो चुकी है. शेष मुद्दों पर बात करने के लिए तीन जनवरी को कोयला मंत्री ने बुलाया था. लेकिन, मजदूर प्रतिनिधियों ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया.
वर्तमान समय में देश में ऊर्जा उत्पादन की अत्यंत कमी है. इसके लिए कोयला उत्पादन जरूरी है. जब कोयला कंपनियां उत्पादन में अच्छा कर रही हैं, वैसे समय में इन्हें बंद करना ठीक नहीं होगा. इससे स्थिति बिगड़ सकती है. कोयला कंपनियां उत्पादन लक्ष्य पाने से भी पीछे रह सकती हैं. मजदूर यूनियनों को चाहिए कि कोयला उद्योग को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए मिल-जुल कर प्रयास करें.

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