केरल व झारखंड की जलवायु में है समानता
नामकुम: योजना आयोग के सदस्य डॉ के कस्तूरीरंगन शुक्रवार को नामकुम के प्लांडू स्थित हार्प पहुंच़े इस दौरान डॉ कस्तूरीरंगन ने हार्प के प्रक्षेत्र का भ्रमण किया और फल, सब्जियों व दलहन की फसलों पर हो रहे शोध तथा तकनीक की जानकारी ली. इसी क्रम में उन्होंने संस्थान परिसर में वृक्षारोपण किया. इसके पश्चात वैज्ञानिकों […]
नामकुम: योजना आयोग के सदस्य डॉ के कस्तूरीरंगन शुक्रवार को नामकुम के प्लांडू स्थित हार्प पहुंच़े इस दौरान डॉ कस्तूरीरंगन ने हार्प के प्रक्षेत्र का भ्रमण किया और फल, सब्जियों व दलहन की फसलों पर हो रहे शोध तथा तकनीक की जानकारी ली. इसी क्रम में उन्होंने संस्थान परिसर में वृक्षारोपण किया. इसके पश्चात वैज्ञानिकों व किसानों को संबोधित किया. श्री कस्तूरीरंगन ने कहा कि झारखंड व केरल की जलवायु में काफी समानता है.
झारखंड में ट्रॉपिकल व टेंपरेट दोनों प्रकार के मौसम पाये जाते हैं, जो बिल्कुल अलग बात होती है. ऐसे में गर्म व ठंडे प्रदेश में पाये जाने वाले तमाम फसलों की खेती यहां की जा सकती है. उन्होंने कहा कि झारखंड में किसानों की क्षमता पर संदेह करने की बजाय क्षमता वर्धन पर ध्यान देना चाहिए़ सरकार को चाहिए कि वो पूंजी व तकनीक किसानों को उपलब्ध कराये.
श्री कस्तूरीरंगन ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि जहां राज्य में अभी मूंग, दलहन की फसल 800 किग्रा प्रति हेक्टेयर है, उसे चीन की तर्ज पर 2000 किग्रा प्रति हेक्टेयर तक ले जायें, इसके लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि योजना आयोग कृषि के क्षेत्र में झारखंड को हरसंभव मदद करेगा़ इसके लिए जल्द ही वैज्ञानिक व भारत सरकार के अधिकारी किसानों से आकर मिलेंगे. बागवानी मिशन के निदेशक डॉ प्रभाकर सिंह ने झारखंड में काजू तथा फूलों की खेती के संबंध में जानकारी दी. साथ ही झारखंड को बागवानी प्रदेश के रूप में मान्यता देने की बात भी कही.