कोल इंडिया में हड़ताल जारी, बातचीत बेनतीजा, कोयला ढुलाई ठप
रांची: कोल इंडिया में हड़ताल के पहले दिन देश की करीब सभी कोल कंपनियों में उत्पादन प्रभावित रहा. अधिकतर कंपनियों में कोयले का डिस्पैच पूरी तरह ठप रहा. झारखंड में सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल की कोलियरियों में भी इसका व्यापक असर देखा गया. इन कोलियरियों में डिस्पैच के साथ-साथ कोयले का उत्पादन भी प्रभावित रहा. […]
रांची: कोल इंडिया में हड़ताल के पहले दिन देश की करीब सभी कोल कंपनियों में उत्पादन प्रभावित रहा. अधिकतर कंपनियों में कोयले का डिस्पैच पूरी तरह ठप रहा. झारखंड में सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल की कोलियरियों में भी इसका व्यापक असर देखा गया. इन कोलियरियों में डिस्पैच के साथ-साथ कोयले का उत्पादन भी प्रभावित रहा. कोल इंडिया के नव नियुक्त अध्यक्ष के अनुसार, हड़ताल के पहले दिन करीब 15 लाख टन कोयले का उत्पादन प्रभावित रहा. इस बीच, मंगलवार शाम को कोयला सचिव के साथ हुई मजदूर यूनियनों की वार्ता विफल हो गयी है.
सीसीएल में असर : हड़ताल के पहले दिन सीसीएल में पहली शिफ्ट में करीब 41 } मजदूर काम पर नहीं आये. कंपनी प्रबंधन के अनुसार, कुल 58 कोलियरियों में से तीन में काम प्रभावित रहा.
मुख्यालय में अधिक असर नहीं रहा. छह जनवरी को सीसीएल का मैनपावर 29386 था. इनमें वैसे कर्मियों को भी शामिल किया गया था, जो लंबे समय से अनुपस्थित हैं या फिर छुट्टी पर हैं. इनमें से 17599 कर्मी काम पर थे. 11787 कर्मी बिना कारण बताये छुट्टी पर थे. सीएमपीडीआइ में 20 फीसदी कर्मियों की अनुपस्थिति रही. कंपनी में करीब 2200 कर्मी हैं. मुख्यालय में हड़ताल का बहुत असर नहीं रहा. पर ड्रिलिंग कैंपों में जबरदस्त असर देखा गया. सीटू नेता आरपी सिंह ने बताया : शत प्रतिशत ड्रिलिंग कैंपों में काम नहीं हुआ. गोपालपुर कैंप में कुछ कर्मी काम पर चले गये थे. संपर्क करने पर काम करनेवाले कर्मी वापस लौट गये.
बीसीसीएल में भी काम ठप : बीसीसीएल में उत्पादन व डिस्पैच पूरी तरह ठप हो गया. हड़ताल को सफल बनाने के लिए यूनियनों के बड़े नेता कोलियरियों में घूमते रहे. कंपनी मुख्यालय कोयला भवन में हड़ताल का असर कम दिखा. यहां हड़ताली काम पर जानेवालों को गुलाब का फूल देकर हड़ताल को सफल बनाने की अपील करते देखे गये. कोलियरियों में तो कुछ मजदूरों ने हाजिरी बनाने के बाद आउट करवाया.
इसीएल को भी क्षति : इसीएल की राजमहल परियोजना को पहले दिन 10 करोड़ की क्षति का अनुमान है. हड़ताल के कारण 15 हजार टन कोयले का उत्पादन नहीं हो पाया. ट्रांसपोर्टिग नहीं होने के कारण एनटीपीसी फरक्का और कहलगांव को कोयला नहीं मिल पाया. दोनों को प्रतिदिन 14 हजार टन कोयला भेजा जाता है. एनटीपीसी कहलगांव के एजीएम गोपाल कृष्णन के मुताबिक मात्र दो दिनों के कोयले का स्टॉक है. हड़ताल पांच दिनों तक चली, तो गोड्डा सहित संताल परगना व झारखंड में बिजली संकट गहरायेगा. एसपी माइंस चितरा कोलियरी के समक्ष संयुक्त ट्रेड यूनियन मोरचा के प्रतिनिधियों ने हड़ताल की व विरोध प्रदर्शन किया. चितरा थाना प्रभारी ने प्रदर्शन कर रहे मजदूर नेताओं को हिरासत में ले लिया. बाद में लिखित आश्वासन पर सभी को छोड़ दिया गया.
सीटू ने 13 की हड़ताल वापस ली
सीटू से संबंद्ध ऑल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन ने 13 जनवरी की प्रस्तावित हड़ताल वापस ले ली है. फेडरेशन के महासचिव सह पूर्व सांसद जीवन राय ने कहा है कि छह से 10 जनवरी की हड़ताल को हमलोगों ने समर्थन दिया था. इसी मुद्दे को लेकर हमलोग 13 को हड़ताल करनेवाले थे.
कोलकाता में कर्मियों को पीटा
हड़ताल के दौरान कोलकाता स्थित कंपनी के मुख्यालय के समक्ष श्रमिक धरने पर बैठे थे. आरोप है कि करीब 10.30 बजे मैनेजमेंट ट्रेनी के 20 अधिकारियों ने उन पर हमला करना शुरू कर दिया. मैनेजमेंट ट्रेनी के प्रतिनिधि अचानक से धरनास्थल पर पहुंचे और प्रदर्शन कर रहे श्रमिक व कर्मचारियों को पीटने लगे हैं. इस हमले से कोल इंडिया का एक कर्मचारी बाघा जतिन पाल बुरी तरह घायल हो गया. उसके पैर में काफी चोट आयी है. हालांकि इस घटना के संबंध में कोल इंडिया प्रबंधन ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
घाटोटांड़. सीसीएल हजारीबाग क्षेत्र पर हड़ताल का व्यापक असर पड़ा. क्षेत्र की सभी परियोजनाओं में उत्पादन व डिस्पैच कार्य पूर्णत: ठप रहा. एक-दो परियोजनाओं में कुछ मजदूर काम पर आये, लेकिन श्रमिक नेताओं के आग्रह पर काम किये बगैर लौट गये. आउट सोर्सिंग के मजदूर भी हड़ताल पर रहे. झारखंड उत्खनन परियोजना में अस्पताल, बिजली, पानी, स्कूल बस आदि विभाग के कर्मी भी पूरी तरह से हड़ताल पर रहे.
रजरप्पा. हड़ताल का रजरप्पा प्रोजेक्ट में आंशिक असर रहा. वहीं संयुक्त मोरचा के नेता खदान क्षेत्र, वेश वर्क शॉप एवं वाशरी का दौरा कर हड़ताल सफल बनाने में जुटे रहे. इस बीच नेताओं के साथ कामगारों की कई बार झड़प भी हुई. खदान क्षेत्र में नेताओं द्वारा कामगारों को हाजिरी बनाने से रोका गया.
नयानगर (बरकाकाना). केंद्रीय कर्मशाला बरकाकाना में भी हड़ताल का आंशिक असर दिखा. सुबह से ही विभिन्न ट्रेड यूनियन के नेता कर्मशाला के मुख्य द्वार के समीप जमा हो गये. नेताओं द्वारा सभी से शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल में शामिल होने की अपील की. नेताओं की अपील का असर कुछ देर के बाद खत्म हो गया और कर्मशाला के कर्मी सीधे अपने-अपने कार्यस्थल पर पहुंच गये.
भुरकुंडा. भुरकुंडा कोयलांचल में हड़ताल का असर मिला-जुला रहा. भुरकुंडा के भूमिगत खदानों, हाथीदाड़ी खदान व बांसगढ़ा खदान से कोयला उत्पादन किया गया. ओपेन कास्ट में भी उत्पादन हुआ. भुरकुंडा कोलियरी में करीब 78 प्रतिशत मजदूरों ने अपनी हाजिरी बनायी.
हड़ताल पूरी तरह सफल रहा. कहीं से भी एक छंटाक कोयला निकलने और उत्पादन की सूचना नहीं है. सरकार को मजदूर की एकता के सामने झुकना पड़ा.
– अशोक यादव, एटक
एक-एक एरिया में बंद है. पूरी तरह कामकाज प्रभावित हो गया है. वर्षो बाद कोयला क्षेत्र के मजदूर यूनियनों ने अपनी ताकत का एहसास कराया है.
– राजेश कुमार सिंह, एचएमएस
हड़ताल जबरदस्त रहा. एक-एक एरिया में उत्पादन ठप रहा. मुख्यालयों पर भी असर रहा. एकता के कारण यह संभव हो पाया है.
– आरपी सिंह, सीटू
दिल्ली में हुई बैठक, सहमति नहीं बनी
कोयला मंत्री के बुलावे पर पांचों मजदूर यूनियन के नेता मंगलवार को दिल्ली गये. दिल्ली में कोयला सचिव एसके श्रीवास्तव के साथ मजदूर यूनियन के नेताओं की बैठक हुई. कोयला सचिव ने बैठक में बताया कि कोल माइंस (स्पेशल प्रोविजन) ऑर्डिनेंस-14 को वापस लेने संबंधी आश्वासन वह नहीं दे सकते. इसके बाद वार्ता विफल हो गयी. बैठक में झारखंड से एटक के रमेंद्र कुमार, लखन लाल महतो, बीएमएस से प्रदीप दत्ता और सीटू से डीडी रामानंदन शामिल थे.
क्यों है हड़ताल : कोल इंडिया के मजदूर यूनियन कोल माइंस (स्पेशल प्रोविजन) ऑर्डिनेंस-14 का विरोध कर रहे हैं. इसके साथ-साथ कोल इंडिया में विनिवेश, कोल इंडिया के राष्ट्रीयकरण के साथ छेड़छाड़ का विरोध, कोल इंडिया को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी के विरोध में आंदोलन पर उतरे हुए हैं.
‘‘उम्मीद है कि समस्या सौहाद्र्रपूर्ण तरीके से सुलझा ली जायेगी. हड़ताल से रोजाना कम से कम 15 लाख टन कोयले का उत्पादन प्रभावित होगा. इससे बिजली संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है.
सुतीर्थ भट्टाचार्य, अध्यक्ष, कोल इंडिया