मंजूरी में देरी से अटकी पांच बिजली पारेषण परियोजनाएं

नयी दिल्ली. बिजली पारेषण की 7,000 करोड़ ीुपये की पांच परियोजनाएं वन्यजीव विभाग की मंजूरी में देरी के कारण अटकी पड़ी हैं. सूत्रों ने कहा कि सामान्य रूप से कंपनियों को पारेषण परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में करीब 36 से 50 महीने का समय लगता है. इसमें से 24 महीने का समय वन्य जीव मंजूरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2015 6:02 PM

नयी दिल्ली. बिजली पारेषण की 7,000 करोड़ ीुपये की पांच परियोजनाएं वन्यजीव विभाग की मंजूरी में देरी के कारण अटकी पड़ी हैं. सूत्रों ने कहा कि सामान्य रूप से कंपनियों को पारेषण परियोजनाओं को क्रियान्वित करने में करीब 36 से 50 महीने का समय लगता है. इसमें से 24 महीने का समय वन्य जीव मंजूरी हासिल करने में लग जाता है. इन पांच परियोजनाओं में ग्वालियर से जयपुर की प्रस्तावित पारेषण लाइन शामिल है. इसमें वन्य जीव अभयारण्य का मामला जुड़ा है. एक अन्य ग्वालियर से जयपुर पारेषण लाइन को भी वन्य जीव मंजूरी की प्रतीक्षा है. उसके बाद वन मंजूरी के लिए सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी लेनी होगी. पुनातसांगचु (भूटान) से अलीपुरदुआर (पश्चिम बंगाल) तथा पुनातसांगचु-1 से अलीपुरदुआर परियोजनाओं के रास्ते में भी वन्यजीव क्षेत्र है. इस मामले को विचार के लिए राज्य वन्यजीव बोर्ड के पास भेजा जायेगा.इन परियोजनाओं के अलावा, मध्य प्रदेश के खारमोर वन्यजीव अभयारण्य के रास्ते गुजरनेवाली राजगढ़-करमसाड पारेषण लाइन को भी मंजूरी का इंतजार है. सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अदालत से यह अनुरोध कर सकती है कि बिजली पारेषण लाइन को ढांचागत क्षेत्र की अन्य परियोजनाओं की तरह नहीं समझा जाना चाहिए, क्योंकि उनके लिए बहुत कम जगह की जरूरत होती है और बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई नहीं करनी पड़ती.

Next Article

Exit mobile version